सेहत

जागरूकता की कमी है समुदाय में कुपोषण का मुख्य कारण- डॉ. उषा कुमारी  

• आहार की प्रत्येक थाली में पांच खाद्य समूहों का समावेश जरुरी
• इंडियन डायटेटिक ऐसोसीएशन द्वारा नेशनल डायटेटिक डे पर वेबिनार का हुआ आयोजन
• सुक्ष्म पोषक तत्वों की कमी है बच्चों में कुपोषण की वजह
पटना/ 11 जनवरी-
बाल कुपोषण शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य में बाधक होने के साथ उनके जीवन के सर्वांगिन विकास में बड़ा अवरोधक होता है। आज के समय में बिगड़ती जीवनशैली व अनियमित खानपान के कारण हमारा शरीर कई बीमारियों का घर बन गया है। इनसे लड़ने के लिए शरीर को पर्याप्त पोषण की जरुरत होती है जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सके. नेशनल डायटेटिक दिवस के उपलक्ष में पोषण के लिए आहार विविधता की भूमिका पर इंडियन डायटेटिक ऐसोसीएशन द्वारा वेबिनार का आयोजन किया गया. इस वर्ष नेशनल डायटेटिक डे की थीम के रूप में “डाइटरी डायवर्सिफिकेशन- नीड ऑफ़ द ऑवर” यानि आहार में विविधता, समय की जरुरत को चुना गया है.
जागरूकता की कमी है समुदाय में कुपोषण का मुख्य कारण- डॉ. उषा कुमारी
वेबिनार में मुख्य वक्ता एवं एक्सपर्ट डॉ. उषा कुमारी, प्रोफेसर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय, पूसा ने बताया कि समुदाय में जागरूकता की कमी कुपोषण का प्रमुख कारण है. पोषणयुक्त भोजन की उपलब्धता, आमजनों तक इसकी पहुँच एवं सही तरीके से उपयोग कर हम कुपोषण को मात दे सकते हैं. उन्होंने बताया ताजी फलों और सब्जियों का अपने दैनिक आहार में समावेश कर हम पोषित रह सकते हैं. बच्चों में शुरुआत से ही फल और सब्जी के सेवन की आदत लगाना बाल कुपोषण को रोकने में कारगर सिद्ध होगा.
खाने की थाली में सुक्ष्म पोषक तत्व युक्त आहार को दें प्राथमिकता:
डॉ. उषा ने बताया, भारतीय भोजन की थाली में कार्बोहायड्रेट और वसायुक्त सामग्रियों की मात्रा अधिक होती है और भोजन में प्रोटीन की समावेश पर ध्यान नहीं दिया जाता है. मौसमी फल और सब्जियों का उपयोग कर बहुत आसानी से हम अपने दैनिक आहार में प्रोटीनयुक्त खाद्यपदार्थों का समावेश बढ़ा सकते हैं और इसमें हरी सब्जियों और रंगबिरंगे मौसमी फल को शामिल करना सबसे सरल उपाय है. बच्चों के समग्र विकास के लिए उनके आहार में सुक्ष्म पोषक तत्वों का समावेश आवश्यक है और इससे बच्चों में नाटापन और दुबलापन से निजात संभव है. आहार में विविधता एक स्वस्थ आदत है और लोकल स्तर पर उपलब्ध उत्पादों से इसे आसानी से प्राप्त किया जा सकता है. समुदाय में पोषण वाटिका और किचन गार्डन को हर स्तर पर प्रोत्साहित करने की जरुरत है.
डॉ. उषा ने सीएनएनएस- 2016-18 की रिपोर्ट के अनुसार सुक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के कारण 1 से 4 वर्ष के बच्चों की राज्य में स्थिति की जानकारी दी जो निम्न है-
सुक्ष्म पोषक तत्वों की कमी के कारण बच्चों में कमी  प्रतिशत में प्रभावित बच्चे
एनीमिया से ग्रसित बच्चे  43.9 %
आयरन फोलेट की कमी से ग्रसित बच्चे  6.1 %
विटामिन B 12 की कमी से ग्रसित बच्चे   13.8 %
विटामिन A की कमी से ग्रसित बच्चे  23.5 %
जिंक की कमी से ग्रसित बच्चे  19.8 %
वेबिनार में डॉ. ममता कुमारी, विभागाध्यक्ष, होम साइंस, तिलकामांझी विश्वविद्यालय, भागलपुर, इंडियन डायटेटिक ऐसोसीएशन की राष्ट्रीय महासचिव सुमोना मंडल चौधरी, डॉ. अजय कुमार सिंह, शिशु रोग विशेषग्य, भागलपुर सहित वक्ताओं ने अपने विचार रखे. वेबिनार का संचालन इंडियन डायटेटिक ऐसोसीएशन के बिहार चैप्टर के सचिव डॉ. मनोज कुमार ने किया. वेबिनार में विभिन्न शिक्षण संस्थानों के छात्रों ने भी शिरकत की

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