यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध का 46वां दिन है और दुनियाभर की निगाहें इस पर टिकी हैं। लेकिन इन सब के बीच विश्व के दो बड़े लीडर्स यानी भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच 11 अप्रैल को वर्चुअल बैठक होगी। जिसकी जानकारी व्हाइट हाउस की तरफ से दी गई है। व्हाइट हाउस ने रविवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा कि दोनों देशों के शीर्ष विदेश नीति और रक्षा अधिकारियों के बीच 2 + 2 द्विपक्षीय बैठक से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेनऔर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की 11 अप्रैल को एक वर्चुअल बैठक होगी।
व्हाइट हाउस की तरफ से कहा गया है कि यह बैठक विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन, और विदेश मंत्री डॉ. सुब्रह्मण्यम जयशंकर और भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बीच यूएस-इंडिया 2+2 मंत्रिस्तरीय से पहले होगी। व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव जेन साकी के बयान में कहा गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन हमारी सरकारों, अर्थव्यवस्थाओं और हमारे लोगों के बीच संबंधों को और गहरा करने के लिए पीएम मोदी संग बैठक करेंगे। व्हाइट हाउस ने कहा कि दोनों पक्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा को मजबूत करने सहित मुद्दों को लेकर चर्चा करेंगे। दोनों देशों के नेता इंडो-पैसिफिक इकोनॉमिक फ्रेमवर्क के विकास और उच्च गुणवत्ता वाले बुनियादी ढांचे को वितरित करने को लेकर चल रही बातचीत को आगे बढ़ाएंगे।
अमेरिका ये चाहता है कि उसके जैसे प्रतिबंध भारत भी रूस पर लगाए और इसको लेकर दवाब भी बनाने की कोशिश की गई। लेकिन भारत की तरफ से कोई स्थिति साफ नहीं की गई। भारत एक न्यूट्रल देश है। इससे पहले रूस की तरफ से ये मंशा भी जाहिर की गई थी कि युद्ध की मध्यस्थता भारत करे। अब जो बाइडेन खुद वर्चुअली बैठक करने वाले हैं। आपको याद होगा कि अभी मार्च में ही दोनों नेता क्वाड की समिट में वर्चुअली मिले थे। उसके बाद ये मीटिंग हो रही है।
2 + 2 डॉयलाग में भारत के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री अमेरिका के विदेश व रक्षा मंत्री से मुलाकात करेंगे। जिसके लिए एस जयशंकर और राजनाथ सिंह वाशिंगटन पहुंचे हुए हैं। उससे ठीक पहले ये बैठक करना दिखाता है कि किस तरह से शीर्षस्थ नेतृत्व भारत और अमेरिका की मित्रता को अपने हाथ में लिए हुए है और उसको आगे ले जाया जा रहा है। इसके साथ ही खासतौर से ये इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ये चर्चा खूब हो रही थी कि भारत का रूस की तरफ ज्यादा झुकाव है। य़ूएन के वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया गया और पश्चिम के देशों का साथ नहीं दिया जा रहा। ऐसे में बाइडेन का पहले पीएम मोदी संग मंत्रणा करना और फिर 2 + 2 डॉयलाग को आगे बढ़ाना एक बहुत ही महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटना है।