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सदर अस्पताल में एलिजा टेस्ट शुरू होने से डेंगू के मरीजों को मिली राहत

-जिले के सभी सरकारी अस्पताल में रैपिड किट जांच की पहले से ही है व्यवस्था
-डेंगू को लेकर रहें सतर्क, सदर अस्पताल में 10 बेड का डेंगू वार्ड भी उपलब्ध

बांका, 25 अक्टूबर-

बारिश का मौसम लगभग समाप्त हो गया और और सर्दी का मौसम आने लगा है। इस तरह के मौसम में डेंगू का खतरा बढ़ जाता है। इसे लेकर सदर अस्पताल में एलिजा टेस्ट भी शुरू हो गया है। इससे डेंगू के मरीजों को राहत मिली है। पहले रैपिड किट में डेंगू के लक्षण वाले मरीज मिलने के बाद मायागंज अस्पताल, भागलपुर भेजा जाता था एलिजा टेस्ट के लिए, लेकिन अब अस्पताल में एलिजा टेस्ट शुरू होने से मरीजों को भागलपुर नहीं जाना पड़ेगा। इसके अलावा जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में रैपिड किट जांच की व्यवस्था है। रैपिड किट जांच में अगर कोई लक्षण वाला मरीज मिलता है तो उसे एलिजा टेस्ट के लिए सदर अस्पताल, बांका भेजा जाता है या फिर सीबीसी जांच में प्लेटलेट्स कम आने पर भी लक्षण वाले मरीज को एलिजा टेस्ट के लिए सदर अस्पताल भेजा जा रहा है। सदर अस्पताल में डेंगू के लिए 10 बेड का वार्ड भी चल रहा है।
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव कहते हैं कि सदर अस्पताल में एलिजा जांच शुरू होने से मरीजों को बड़ी राहत मिल रही है। हालांकि उन्होंने कहा कि डेंगू से घबराने की नहीं, बल्कि इससे बचने की जरूरत है। इससे बचाव के लिए जागरूकता बहुत जरूरी है। कैसे डेंगू से बचे रहें, इस पर ध्यान देने की जरूरत है। डेंगू के लक्षण की जानकारी बहुत लोगों को है और इससे कैसे बचा जाए, यह भी जानते हैं। दिन में मच्छर काटने से यह बीमारी होती है, इसलिए इससे बचाव पर फोकस करना चाहिए। डेंगू के सिर्फ गंभीर मरीजों को ही भर्ती करने की जरूरत पड़ती है।
डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि डेंगू के कुछ गंभीर लक्षण हैं। जैसे आंखों के पीछे दर्द होना, हड्डियों के जोड़ों पर भयानक दर्द होना और मच्छर के काटने पर लाल चकते होना। डेंगू के गंभीर मरीज का प्लेटलेट्स काफी कम हो जाता है, इसलिए उसे भर्ती करना पड़ता है। इसके अलावा सिर में दर्द होना, तेज बुखार होना जैसे लक्षण सभी को मालूम हैं। डेंगू से बचाव में सफाई है रामबाण इलाज। अगर सफाई रहेगी तो न कूलर में पानी जमा रहेगा और न ही नारियल के खोली में। साफ रहने पर सभी कुछ खत्म रहेगा। इसलिए नियमित तौर पर सफाई पर ध्यान देने की जरूरत है। इसके अलावा शरीर को पूरी तरह से ढकने वाला कपड़ा पहनें। शरीर का जो हिस्सा ढका नहीं है, उस पर मच्छर भगाने वाला क्रीम लगाएं। साथ ही मच्छरदानी का प्रयोग करें। ऐसा करते रहने से डेंगू से बचे रहेंगे।
एडीज मच्छर के काटने से होता है डेंगूः वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी आरिफ इकबाल ने बताया कि एडीज मच्छर के काटने से डेंगू होता है। यह मच्छर दिन में काटता है और स्थिर एवं साफ पानी में पनपता है। तेज बुखार, बदन, सिर एवं जोड़ों में दर्द और आंखों के पीछे दर्द हो तो सतर्क हो जाएं। त्वचा पर लाल धब्बे या चकते का निशान, नाक- मसूढ़ों से या उल्टी के साथ रक्तस्राव होना और काला पखाना होना डेंगू के लक्षण हैं। इन लक्षणों के साथ यदि तेज बुखार हो तो तत्काल सदर अस्पताल जाएं और अपना इलाज करवाएं। डॉ. बीरेंद्र ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को पहले डेंगू हो चुका है तो उसे ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। ऐसे व्यक्ति दोबारा डेंगू बुखार की आशंका होने पर सरकारी अस्पताल या फिर डॉक्टर से संपर्क करें।

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