देश-दुनियाँ

स्वास्थ्यकर्मी ही नहीं, आमलोग भी टीबी मरीज को भेज रहे अस्पताल

-धोरैया प्रखंड के जेरू गांव के मटरू मंडल इलाज के बाद पूरी तरह हो गए हैं स्वस्थ
-पड़ोस के रहने वाले लोगों ने मटरू को टीबी का इलाज कराने के लिए भेजा अस्पताल

बांका, 7 नवंबर –

जिले को 2025 तक टीबी से मुक्त बनाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग जोर-शोर से लगा हुआ है। इसे लेकर तमाम तरह के जागरूकता कार्यक्रम भी चल रहे हैं। जागरूकता कार्यक्रम का असर भी लोगों पर पड़ रहा है। धोरैया प्रखंड के जेरू गांव के रहने वाले मटरू मंडल(25) टीबी की चपेट में आ गया था। ज्यादा जानकारी नहीं होने के कारण वह डर गया था। पड़ोस के लोगों को बताने से कतरा रहा था कि कहीं उससे दूरी न बना ले। इस बात की जानकारी उसके पड़ोसी राजेश शर्मा को मिली। राजेश शर्मा ने बड़े ही प्यार से मटरू की परेशानी को सुना और फिर उसे समझाया। इसके बाद उसे इलाज के लिए धोरैया स्थित सरकारी अस्पताल ले गए। इस काम में पड़ोसी रघुवीर शर्मा और मनु मंडल ने भी सहयोग किया। इनलोगों ने भी मटरू को समझाया कि टीबी अब लाइलाज बीमारी नहीं है। इसका इलाज संभव है। वह भी सरकारी अस्पताल में बिल्कुल मुफ्त में होता है। साथ ही जब तक दवा चलेगी तब तक पांच सौ रुपये की सरकारी सहायता राशि भी मिलेगी पौष्टिक आहार के लिए। इसके बाद मटरू अस्पताल जाने के लिए तैयार हुआ। धोरैया सरकारी अस्पताल में मटरू की जांच की गई। जांच में टीबी की पुष्टि हुई। छह महीने तक इलाज चला तो वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गया। अब उसे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है।
पड़ोसियों ने मेरी मदद नहीं की होती तो आज मैं स्वस्थ नहीं होताः मटरू कहता है कि जब मुझे पता चला कि मुझे टीबी हो गया है तो मैं डर गया था। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। आसपास के लोगों को भी नहीं बता पा रहे थे। मैं बहुत परेशान हो गया था। अगर मेरे पड़ोसी राजेश शर्मा, रघुवीर शर्मा और मनु मंडल ने मेरी मदद नहीं की होती तो आज मैं स्वस्थ नहीं होता है। इनलोगों का बहुत-बहुत धन्यवाद। साथ ही सरकार का भी, जिसने इस तरह की योजना चलाकर हम गरीब लोगों पर मेहरबानी की है। अगर यह इलाज मुफ्त में नहीं होता तो पता नहीं कितनी परेशानी झेलनी पड़ती।
आमलोगों पर पड़ रहा है जागरूकता का असरः धोरैया स्थित सरकारी अस्पताल के लैब टेक्नीशियन शंभूनाथ झा कहते हैं कि यह बहुत ही अच्छी बात है कि अब आमलोग भी इस तरह के सराहनीय कार्य कर रहे हैं। इसका मतलब साफ है कि जागरूकता कार्यक्रम का असर लोगों पर पड़ रहा है। मैं अन्य लोगों से भी यही अपील करना चाहता हूं कि अगर किसी को लगातार दो हफ्ते तक खांसी हो, बलगम के साथ खून निकले, लगातार बुखार रहे या फिर शाम के वक्त पसीना अधिक निकले तो जांच के लिए सरकारी अस्पताल आएं और दूसरे को भी भेजें। जांच में अगर टीबी की पुष्टि होती है तो निःशुल्क इलाज होगा।

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