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कैंसर के लक्षण वाले मरीज मिले तो भेजें सदर अस्पताल

-कैंसर, बीपी और शुगर की बीमारी से बचाव को लेकर दिया गया प्रशिक्षण
-फार्मेसी कॉलेज में प्रशिक्षण का दूसरा दिन, सात दिनों तक चलेगा प्रशिक्षण

बांका, 14 दिसंबर-

गैरसंचारी रोग के प्रशिक्षण के दूसरे दिन बुधवार को जिले के कैंसर, बीपी और शुगर के मरीजों का किस तरह से इलाज करना है, इसकी जानकारी डॉक्टरों को दी गई। प्रशिक्षण का आयोजन जिला गैरसंचारी रोग पदाधिकारी डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव के नेतृत्व में किया गया और इसमें जिले के सभी स्वास्थ्य संस्थान के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, एक अन्य चिकित्सा पदाधिकारी और एक डेंटिस्ट शामिल हुए। प्रशिक्षण देने का काम सदर अस्पताल के डॉ विजय कुमार और डॉ. प्रीति सागर ने किया। इस मौके पर जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. योगेंद्र प्रसाद मंडल और डीपीएम प्रभात कुमार राजू भी मौजूद रहे। कार्यक्रम का आयोजन कराने में एनसीडी विभाग के प्रभारी एफएलसी राजेश कुमार और सौरव सुमन ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रशिक्षण के दौरान डॉक्टरों को तीन तरह के कैंसर के बारे में बताया गया। डॉ. प्रीति सागर ने ऑरल कैंसर, सर्वाइकल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर के बारे में डॉक्टरों को जानकारी दी। इसके शुरुआती लक्षणों के बारे में बताया। साथ में यह भी बताया कि अगर ऐसे लक्षण वाले कोई मरीज मिलते हैं तो उसे सदर अस्पताल भेजिए। वहां पर स्क्रीनिंग की जाएगी। स्क्रीनिंग में अगर कैंसर के लक्षण का पता चलता है तो उसे इलाज के लिए आगे भेजा जाएगा। डॉ. प्रीति सागर ने बताया कि होमी जहांगीर भाभा अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर और राज्य स्वास्थ्य समिति में एक समझौता हुआ है, जिसके तहत ओरल, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के मरीजों की निःशुल्क जांच की व्यवस्था बांका सदर अस्पताल में की गई है। जांच में मरीज में अगर कैंसर की पुष्टि हो जाती है तो उसका इलाज पटना के आईजीआईएमएस, एनएमसीएच और मुजफ्फरपुर के टाटा मेमोरियल कैंसर अस्पताल में से किसी एक जगह किया जाएगा। इलाज में मरीजों को सरकारी सहायता मिलेगी। उन्हें नाममात्र का चार्ज ही लगेगा और लगातार मरीजों का फॉलोअप किया जाएगा।
सर्दी के मौसम में बीपी और शुगर के मरीजों को सावधान रहने की जरूरतः बीपी और शुगर की बीमारी के बारे में प्रशिक्षण देते हुए डॉ. विजय कुमार ने बताया कि इस मौसम में ऐसे लोगों को खासा सतर्क रहने की जरूरत है। खासकर जो बीपी के मरीज हैं, उन्हें विशेष तौर पर सावधानी की जरूरत पड़ती है। भोजन पर नियंत्रण से लेकर शारीरिक गतिविधियों में शामिल होने की आवश्यकता पड़ती है। बीपी के साथ शुगर के मरीजों को भी तला-भुना भोजन से दूर रहना चाहिए। अधिक तेल-मसाले से काफी नुकसान पहुंचता है। अभी के मौसम में जब धूप निकल आए तो बीपी और शुगर के मरीजों को तेज कदमों से 45 मिनट तक टहलने की भी कोशिश करने की सलाह देने को लिए डॉक्टरों को कहा गया। साथ ही जो लोग दवा का सेवन करते हैं वे बीच में दवा नहीं छोड़ें। इससे नुकसान हो सकता है। किसी भी तरह की परेशानी होने पर डॉक्टर से संपर्क करें और डॉक्टर की सलाह के मुताबिक अपना व्यवहार रखें।

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