-कटोरिया रेफरल अस्पताल में स्वास्थ्य विभाग ने लगाया शिविर
-मरीजों व स्वास्थ्यकर्मियों को मोर्बिडिटी मैनेजमेंट का मिला प्रशिक्षण
बांका, 15 दिसंबर-
स्वास्थ्य विभाग की ओर से गुरुवार को कटोरिया रेफरल अस्पताल में शिविर लगाया गया। शिविर में फाइलेरिया रोगियों में एमएमडीपी किट का वितरण किया गया। साथ ही मोर्बिडिटी मैनेजमेंट का प्रशिक्षण रोगियों, चिकित्सक, एएनएम और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों को दिया गया। प्रशिक्षण देने का काम वेक्टर रोग नियंत्रक पदाधिकारी आरिफ इकबाल ने किया। मौके पर जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव, अस्पताल प्रभारी डॉ. सकलदीप मंडल, डॉ. विनोद कुमार, अस्पताल मैनेजर अमरेश कुमार, केयर इंडिया के डीपीओ ओमप्रसाद नायक, भीबीडी सुपरवाइजर मनीष कुमार, मुकुंद कुमार, एएनएम स्नेहलता, पूजा कुमारी, प्रग्या पीयूष, चंपा कुमारी समेत तमाम स्वास्थ्यकर्मी मौजूद थे।
डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव ने बताया कि फाइलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो न सिर्फ आर्थिक और शारीरिक रूप से, बल्कि मानसिक तौर पर भी परेशान करती है। जो लोग फाइलेरिया की चपेट में आ गए हैं, वह पूरी तरह तो ठीक नहीं हो सकते, लेकिन उन्हें राहत पहुंचाने के लिए लगातार प्रयास हो रहे हैं। इसी सिलसिले में फाइलेरिया के मरीजों को मेडिकल किट बांटे गए। इस किट में एक छोटा टब, मग, साबुन, एंटीसैप्टिक क्रीम, पट्टी इत्यादि सामान हैं। इसके सहयोग से फाइलेरिया मरीज होने वाले जख्म को ठीक कर सकते हैं, जिससे उन्हें थोड़ी राहत मिलेगी।
बेहतर मोर्बिडिटी प्रबंधन से मिलती है राहतः वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी आरिफ इकबाल ने बताया कि फाइलेरिया बीमारी से तो मरीजों को पूरी तरह आजादी नहीं मिलती है, लेकिन बेहतर मोर्बिडिटी प्रबंधन के जरिये थोड़ी राहत जरूर मिलती है। फाइलेरिया के मरीजों की चमड़ी थोड़ी मोटी हो जाती है। जिस जगह पर फाइलेरिया होता है, वहां पर जख्म का खतरा भी रहता है। जख्म होने के बाद मरीजों को ज्यादा परेशानी नहीं हो, इसके लिए किट में मौजूद दवा और सफाई से फाइलेरिया रोगियों को राहत मिलेगी।
क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है फाइलेरियाः डीभीबीडीसीओ डॉ. बीरेंद्र कुमार यादव कहते हैं कि फाइलेरिया क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है। क्यूलेक्स मच्छर घरों के दूषित स्थलों, छतों और आसपास लगे हुए पानी में पाया जाता है। इससे बचाव के लिए लोग घरों के आसपास गंदगी और पानी नहीं जमने दें। घर के आसपास साफ-सफाई रखनी चाहिए। बुखार आना, शरीर में लाल धब्बे या दाग होना, शरीर के किसी भी अंग में सूजन होना इसके लक्षण हैं। ज्यादातर इस बीमारी से ग्रसित लोगों के पांव या हाइड्रोसील में सूजन हो जाती है। लोग इस बीमारी से सुरक्षित रह सकें, इसके लिए सरकार साल में एक बार एमडीए अभियान चलाती है। इससे लोगों को जरूरी दवा उपलब्ध होती , जो इस बीमारी को रोकने में सहायक होती है।