उत्तर प्रदेश

यूपी की आवाज के मुख्य सम्पादक अनूप गंगवार के जन्मदिन में बधाइयों का तांता

  • मंत्रियों, राजनैतिक नेताओं व शुभचिन्तकों ने दीं दिल खोलकर बधाइयाँ
  • अनूप गंगवार ने कहा-पिता के अवसान से दु:खी था, इसलिए नहीं किया कोई समारोह
यूपी की आवाज

लखनऊ। पत्रकारिता जगत के क्षितिज पर सूर्य के समान दमक रहे यूपी की आवाज के मुख्य सम्पादक तथा एपीए मीडिया प्रा.लि. के चेयरमैन अनूप गंगवार के जन्मदिन पर बधाइयों का तांता लगा। हालाँकि वरिष्ठ पत्रकार ने पिता स्व. श्री रामनिवास गंगवार का सात माह पूर्व हुए निधन के कारण कोई समारोह आयोजित नहीं किया था और केवल परिवार के साथ सादगीपूर्ण तरीके से जन्मदिन मनाया था।


खास लोगों के जन्मदिन भी खास ही होते हैं। सोमवार को यूपी की आवाज के प्रधान सम्पादक के जन्मदिन ने मीडिया में खूब सुर्खियाँ बटोरीं। फेसबुक, इन्स्टाग्राम, ट्विटर आदि सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर दिन भर लोगों ने जी भरकर बधाइयाँ दीं। फोन पर भी बधाई देने का क्रम दिन भर चला। मंत्रियों, सत्तारूढ़ नेताओं, शुभचिन्तकों, मित्रों, स्वजनों ने दिन भर फोन व सोशल मीडिया पर बधाइयाँ दीं। पत्रकारिता के स्तम्भ कहे जाने वाले अनूप गंगवार का यह पहला जन्मदिन था, जिसमें उनके पिता स्व.रामनिवास गंगवार सशरीर इस दुनिया में नहीं थे। जिसके कारण पहली बार किसी भी समारोह का न तो आयोजन किया गया था और न ही किसी को आमंत्रित किया गया था। पत्नी पारुल गंगवार व बच्चों के बीच अनूप गंगवार ने पहले अपने पिताश्री के चित्र के समक्ष पुष्पार्चन कर श्रद्धांजलि अर्पित की और फिर केक काटा। केक काटने के बाद पहला पीस अपने पिता को ही समर्पित किया।


अनूप गंगवार ने कहा सोमवार का दिन मेरे लिए आसान नहीं था। पहली बार जिसने जन्म दिया वह हमारे बीच नहीं था, जिसके कारण जन्मदिन निरर्थक सा लग रहा था। उन्होंने कहा जिन-जिन लोगों ने बधाइयाँ दीं, मैं हृदय से उनका आभार व्यक्त करता हूँ। अपनों की दुआएं बुरे समय में बहुत काम आती हैं और फिर पत्रकार की ताकत तो उसके अपने और अपने पाठक होते हैं। उन्होंने कहा यह दुआओं का ही प्रतिफल है कि मैं यूपी की आवाज को जन-जन की आवाज बना पाया। हर माह पत्रिका निकालना आसान नहीं होता, लेकिन मेरे अपनों ने कभी परेशानी का अहसास ही नहीं होने दिया।
आपको बता दें अनूप गंगवार ने अपना कॅरियर नेता के रूप में शुरू किया। जब तक नेतागीरी की दिल खोलकर की और उसे सेवानीति समझते हुए लोगों की भरपूर मदद की। नेतागीरी बहुत दिनों तक रास नहीं आयी। उनके मस्तिष्क में कब पत्रकारिता का अंकुर फूट गया, यह उन्हें खुद पता नहीं चला। यूपी की आवाज पत्रिका के माध्यम से उन्होंने लोगों की समस्याएं उठायीं और अच्छे लोगों को प्रोत्साहित भी किया। पत्रकारिता के साथ-साथ समाजसेवा कभी नहीं छोड़ी और जिसकी जितनी मदद कर सके की। पत्रकारिता की राह में अकेले चले अनूप गंगवार के साथ कारवाँ जुड़ता गया और वे एपीए प्रा.लि. के चेयरमैन बन गये। अब पत्रिका के साथ-साथ न्यूज पोर्टल, वेबसाइट तथा यूट्यूब चैनल के माध्यम से वे लोगों की आवाज बुलन्द कर रहे हैं। वर्तमान में वे कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हैं। एपीए मीडिया प्रा.लि. के माध्यम से उन्होंने अच्छा कार्य करने वाले लोगों को सम्मानित किया है और इस वर्ष भी अच्छे लोगों को सम्मानित करने का ताना-बाना बुन रहे हैं।

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