नई दिल्ली-
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी द्वारा आयोजित दो दिवसीय आतंकवाद-निरोधी (एंटी टेरर) सम्मेलन का उद्घाटन किया। इस मौके पर अपने संबोधन में शाह ने स्पष्ट किया कि, ‘हमें सिर्फ आतंकवाद ही नहीं बल्कि इसके पूरे इकोसिस्टम को ध्वस्त करना है।’
बीते 9 वर्षों में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में क्रिप्टो करेंसी, क्राउडफंडिंग,हवाला, टेरर-फंडिंग, संगठित क्राइम सिंडिकेट्स और नार्को-टेरर जैसी चुनौतियों पर सख़्त कदम उठाने का बेहतर परिणाम आज अमृतकाल में दिख रहा है। आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत जबरदस्त काम हुआ है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी एक के वश की बात नहीं है। यही वजह है कि आज अमित शाह की नीतियों के तहत केंद्र और राज्यों, उनकी सुरक्षा एजेंसियों और यहाँ तक कि अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों के साथ तालमेल बनाकर आतंकवाद से निपटने की तैयारी जोर-शोर से चल रही है।
शाह की रणनीतियों के तहत एनआईए, एटीएस और एसटीएफ का काम अब केवल जाँच तक सीमित नहीं रह गया है, बल्कि वे लीक से हटकर आतंकवाद पर करारा प्रहार कर रहे हैं। शाह का मानना है कि एनआईए के तत्वाधान में देश में एक ‘मॉडेल एंटी-टेररिज़्म स्ट्रक्चर’ का गठन जरूरी है,ताकि सभी राज्यों में एंटी-टेरर एजेंसियों की हायरार्की, स्वरूप और जाँच की संचालन प्रक्रिया एक समान हो, जिससे केंद्र और राज्य की एजेंसियों में बेहतर समन्वय हो सके।
नए भारत के निर्माण में जुटे मोदी जी की दूरदर्शिता और दिग्गज नेता शाह के कड़े निर्णयों की वजह से जम्मू-कश्मीर, नक्सल प्रभावित इलाकों,खालिस्तानी गतिविधियों, वामपंथी उग्रवाद और पूर्वोत्तर में हिंसा में कमी लाने में बड़ी सफलता मिली है। जहाँ साल 2001 में आतंकी घटनाओं की संख्या 6000 थी, वहीं साल 2022 में उसे घटाकर 900 तक लाने का काम शाह की नीतियों के कारण ही संभव हो पाया है। एनआईए ने 94 प्रतिशत से अधिक दोष सिद्धि दर हासिल कर रिकॉर्ड कायम किया है। देश ने देखा है कि बीते 9 वर्षों में मादक पदार्थों के खिलाफ लड़ाई में भी बड़ी सफलताएँ हासिल हुई हैं। ऑपरेशन ‘समुद्रगुप्त’ के दौरान केरल में लगभग 12,000 करोड़ रूपए से अधिक मूल्य की 2,500 किलोग्राम मेथामफेटामाइन जब्त की गई थी। इसके अलावा 10 लाख किलोग्राम ड्रग्स डिस्पोजड भी की जा चुकी है।
दशकों तक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई घटना घट जाने के बाद लड़ी जाती रही है, लेकिन आज आतंकी समस्या खड़ी ही ना हो, उस दिशा में लड़ाई लड़ी जा रही है। शाह के मार्गदर्शन में एजेंसियाँ ऐसा क्रूर रुख अपना रही हैं कि कोई भी नया आतंकी संगठन बनना असंभव हो गया है। बीते 9 वर्षों में जिस तरह से आतंकी घटनाओं में कमी आई है और नशे के कारोबार पर लगाम लगाई गई है, उस आधार पर यह कहा जा सकता है कि देश आज सुरक्षित हाथों में है।