सेहत

विकलांगता का दूसरा प्रमुख कारण है फाइलेरिया 

• स्वच्छता का ध्यान एवं नियमित व्यायाम से फ़ाइलेरिया मरीजों का विकलांगता से बचाव संभव
• एमडीए अभियान के दौरान दवा का सेवन सबसे सरल एवं सुरक्षित उपाय
• जिले में गत वर्ष 488 एमएमडीपी किट किये गए वितरित
भभुआ:
विकलांगता किसी भी व्यक्ति के लिए अभिशाप साबित हो सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार विश्व में विकलांगता के कारणों में फाइलेरिया दूसरा प्रमुख कारण है.  फाइलेरिया से होने वाले हाथीपांव के कारण रोगी की विकलांगता उसके पूरे जीवन को प्रभावित करती है. विश्व में अभी भी बड़ी संख्या में लोग हाथीपांव के शिकार होने की जद में हैं.
जिले में संचालित किया जा रहा एमडीए अभियान:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. आर.के.चौधरी ने बताया कि 10 फ़रवरी से जिले में एमडीए अभियान संचालित किया जा रहा है. अभियान से पूर्व माइक्रो फ़ाइलेरिया दर का पता लगाने के लिए जिले के सभी प्रखंडों में नाईट ब्लड सर्वे कराया गया है. जिले के सभी 11 प्रखंड में अभियान संचालित किया जा रहा है और लोगों से आगे आकर दवा खाने की अपील की जा रही है.
फाइलेरिया मरीज अपने रोग प्रबंधन के प्रति हो जागरूक:
फाइलेरिया के मरीजों को अपने रोग प्रबंधन के प्रति जागरूक होना जरूरी है. डॉ चौधरी ने बताया हाथीपांव से ग्रसित मरीज की देखभाल के लिए राज्य में मॉरबिडिटी मैनेजमेंट एंड डिस्टेबिलिटी प्रीवेंशन यानि एमएमडीपी किट का वितरण किया जा रहा है. एमएमडीपी किट के वितरण के साथ इसके इस्तेमाल की जानकारी दी जा रही है. वेक्टर रोग नियंत्रण पदाधिकारी रोहित कुमार ने बताया कि फ़ाइलेरिया मरीजों की सहूलियत के लिए जिला के सदर अस्पताल में फ़ाइलेरिया क्लिनिक संचालित है और इससे फ़ाइलेरिया मरीजों को उपचार में सहायता मिल रही है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2023 में जिला में 488 एमएमडीपी किट वितरित किये गए हैं.
फाइलेरिया उन्मूलन में सामाजिक सहभागिता महत्वपूर्ण:
हाथीपांव होने से रोगी की तुरंत मौत नहीं होती है, यह इस रोग को नजरअंदाज करने की बड़ी वजह है. लेकिन अपने पूरे जीवन को प्रभावित करता है. युवाओं में भी हाथीपांव का असर देखने को मिला है. इस रोग को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए. संभवत: यह उनके लिए आने वाले समय में बड़ा गंभीर हो सकता है. फाइलेरिया उन्मूलन के लिए सामाजिक सहभागिता जरुरी है.

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