सेहत

पेशेंट प्लेटफॉर्म के सहयोग से फाइलेरिया से बचाव के लिए लोगों को जागरूक कर रही स्वास्थ्य टीम 

– फाइलेरिया उन्मूलन • घर-घर जाकर लोगों को सामने में खिलाई जा रही है एल्बेंडाजोल, आईवरमेक्टीन और डीईसी की दवा
– फाइलेरिया के कारण, लक्षण और इससे बचाव की भी दी जा रही है जानकारी
शेखपुरा-
जिले में 13 फरवरी से फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर एमडीए/आईडीए अभियान चल रहा है। अभियान को हर हाल में सफल बनाने के लिए स्वास्थ्य विभाग हर स्तर से लोगों को जागरूक कर रही है, और इस बीमारी से बचाव के लिए एल्बेंडाजोल, आईवरमेक्टीन और डीईसी की दवा का सेवन करा रही है। सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने के लिए स्वास्थ्य विभाग पेशेंट प्लेटफॉर्म के सदस्यों का भी सहयोग ले रही है। पेशेंट प्लेटफॉर्म के सदस्यों के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग की टीम ना सिर्फ इस बीमारी से बचाव के लिए लोगों को खुद के सामने दवा का सेवन करा रही है। बल्कि, इस बीमारी से बचाव के लिए फाइलेरिया के कारण, लक्षण और इससे बचाव की भी दी जानकारी देकर जागरूक कर रही है। ताकि सामुदायिक स्तर पर लोग इस बीमारी से होने वाली परेशानियाँ को अच्छी तरह से जान सके और खुद को सुरक्षित रखने के लिए बचाव से संबंधित उपायों का पालन कर सके।
– पेशेंट प्लेटफॉर्म के सदस्यों का मिल रहा है सहयोग, लोगों को किया जा रहा है जागरूक :
सिविल सर्जन डाॅ. अशोक कुमार सिंह ने बताया, जिले में चल रहे एमडीए अभियान में पेशेंट प्लेटफॉर्म के सदस्यों का साकारात्मक सहयोग मिल रहा है। जिसके सहयोग से लोगों को आसानी से इस अभियान के उद्देश्य की जानकारी दी जा रही है। वहीं, उन्होंने बताया, हमारी टीम घर-घर जाकर खुद के सामने में गर्भवती और दो वर्ष से छोटे बच्चे के अलावा गंभीर बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को छोड़, शेष सभी लोगों को दवाई का सेवन करा रही है। साथ ही फाइलेरिया से बचाव के लिए भी जरूरी जानकारी देकर जागरूक कर रही है। ताकि सामुदायिक स्तर पर लोग जागरूक हो सके और अधिकाधिक लोग दवाई का सेवन के लिए आगे आ सके।
– शारीरक, मानसिक और सामाजिक परेशानी से बचाव के लिए जरूर करें दवाई का सेवन :
श्रीराम फाइलेरिया पेशेंट प्लेटफॉर्म के सदस्य शेखोपुर सराय प्रखंड के सुगिया गाँव निवासी 34 वर्षीय ललन कुमार ने बताया, मैं कैसे और कब इस बीमारी के प्रभाव में आ गया। मुझे पता ही नहीं चला। किन्तु, पीड़ित होने के बाद क्या-क्या परेशानियाँ झेलनी पड़ रही है, इस बात को मैं बखूबी जान रहा हूँ। यह एक विकृत बीमारी है और इसके दायरे में आने के बाद जहाँ जिंदगी खुद के लिए ही बोझ बन जाती है। सामान्य जिंदगी पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो जाती है। वहीं तमाम तरह के सामाजिक परेशानी का भी सामना करना पड़ता है।यह बीमारी दिव्यांग तक बना सकता है। इसलिए, मैं सभी लोगों से अपील करती हूँ कि इस बीमारी के साथ-साथ शारीरक, मानसिक और सामाजिक परेशानी से बचाव के लिए जरूर दवाई का सेवन करें और स्वास्थ्य टीम के परामर्श का भी पालन करें। इसी उद्देश्य से मैं लोगों को जागरूक कर रहा हूँ। ताकि मेरे तरह और किसी की जिंदगी प्रभावित नहीं हो सके।
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