यूपी की आवाज
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि अमृतकाल में हम देश से गरीबी और भुखमरी मिटाने का प्रयास कर रहे हैं। अब दलितों, वंचितों, पिछड़ों और आदिवासियों को उचित सम्मान और नए अवसर मिल रहे हैं। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों को केवल चुनाव के दौरान ही उनकी याद आती थी।
प्रधानमंत्री ने आज मध्य प्रदेश के सागर जिले में विभिन्न विकास परियोजनाओं का शिलान्यास और उद्घाटन किया। परियोजनाओं में 100 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से बनने वाले संत शिरोमणि गुरुदेव श्री रविदास स्मारक की आधारशिला, 1580 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से विकसित होने वाली दो सड़क परियोजनाएं और 2475 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से देश के लिए कोटा-बीना रेल मार्ग राष्ट्र को समर्पित करना शामिल है।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि देश में पहली बार दलितों, पिछड़ों और आदिवासी परंपराओं को उचित सम्मान मिल रहा है। उन्होंने देश से ”सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास” के इस संकल्प के साथ आगे बढ़ने का आग्रह किया और विश्वास जताया कि संत रविदास जी की शिक्षाएं अपनी यात्रा में भारत के नागरिकों को एकजुट करती रहेंगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संत शिरोमणि गुरुदेव श्री रविदास स्मारक में भव्यता के साथ-साथ दिव्यता भी होगी जो संत रविदास की शिक्षाओं से प्रवाहित होगी। उन्होंने बताया कि यह स्मारक ”समरसता” की भावना से ओतप्रोत है क्योंकि इसमें 20000 से अधिक गांवों और 300 नदियों की मिट्टी का उपयोग किया गया है। मध्य प्रदेश के परिवारों ने ”समरसत भोज” के लिए अनाज भेजा है और पांच यात्राएं भी आज सागर में संपन्न हुईं। प्रधानमंत्री ने कहा, “ये यात्राएं सामाजिक सद्भाव के एक नए युग का प्रतीक हैं।” प्रधानमंत्री ने कहा कि जब प्रेरणा और प्रगति एक साथ आती है तो एक नए युग का सूत्रपात होता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संत रविदास जी स्मारक और संग्रहालय का शिलान्यास ऐसे समय में हो रहा है जब देश ने आजादी के 75 साल पूरे कर लिए हैं और अगले 25 साल का अमृतकाल हमारे सामने है। उन्होंने हमारे अतीत से सबक लेने के साथ-साथ भूमि की विरासत को आगे बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि संत रविदास का जन्म उस युग में हुआ था जब देश पर मुगलों का शासन था और समाज असंतुलन, दमन और अत्याचार से जूझ रहा था। प्रधानमंत्री ने मुगल शासन के दौरान संत रविदास की वीरता और देशभक्ति पर प्रकाश डाला।
सामाजिक समानता और सभी के लिए सुविधाओं की उपलब्धता पर संत रविदास का जिक्र कर प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृतकाल में हम देश से गरीबी और भुखमरी मिटाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने महामारी के दौरान गरीबों और वंचित वर्गों को भोजन उपलब्ध कराने के अपने दृढ़ संकल्प को याद किया। मोदी ने कहा, “मैं गरीबों की भूख और स्वाभिमान का दर्द जानता हूं। मैं आपके परिवार का सदस्य हूं और आपका दर्द समझने के लिए मुझे किताबों में पढ़ने की जरूरत नहीं है।”
प्रधानमंत्री ने बताया कि 2025 तक भारत को टीबी से मुक्त करने के अभियान के साथ-साथ 7 करोड़ भारतीयों को सिकल सेल एनीमिया से बचाने का अभियान भी चल रहा है। मोदी ने कालाजार और इंसेफलाइटिस के घटते मामलों का भी जिक्रि किया। आयुष्मान कार्ड के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा, “लोग कहते हैं कि उन्हें मोदी कार्ड मिल गया है। पांच लाख तक के इलाज की जरूरत के लिए आपका बेटा (प्रधानमंत्री) मौजूद है।”
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार देश के दलितों, वंचितों, पिछड़ों और आदिवासियों को उचित सम्मान दे रही है और नये अवसर उपलब्ध करा रही है। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि समाज के इन वर्गों से एक के बाद एक महान व्यक्तित्व उभरे हैं जिन्होंने राष्ट्र निर्माण में असाधारण भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री ने कहा, इसीलिए, देश गर्व से उनकी विरासत को संरक्षित कर रहा है।