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राजा महमूदाबाद का निधन, सीतापुर से लेकर लखनऊ तक थी रियासत

यूपी की आवाज

लखनऊ। कांग्रेस के पूर्व विधायक राजा महमूदाबाद मो. अमीर मोहम्मद खान का देर रात निधन हो गया। सीतापुर जिले की महमूदाबाद विधानसभा सीट से दो बार कांग्रेस पार्टी से विधायक रहे थे। शत्रु संपत्ति प्रकरण से खासे चर्चा में आए थे। कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पढ़ाई की थी और यहीं के इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोनॉमी में गेस्ट प्रोफेसर थे। इनका सामाजिक व साहित्य जगत से गहरा नाता रहा था। आज सुबह इनके बेटे प्रो. अली खान ने फेसबुक मैसेज के जरिए इनके निधन की जानकारी शेयर की।

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट के जरिए राजा महमूदाबाद के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है। अमीर मोहम्मद खान के पिता और महमूदाबाद रियासत के राजा मोहम्मद आमिर अहमद खान पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना के करीबी थे। ये देश के बंटवारे के वक्त इराक चले गए। बाद में साल 1957 में उन्होंने पाकिस्तान की नागरिकता ग्रहण कर ली। इनके कुछ परिवारीजन भारत में रुके बाकी पाकिस्तान चले गए। भारत-चीन युद्ध के बाद केन्द्र सरकार की नजर उन संपत्तियों की ओर गई जो पाकिस्तान जा चुके लोगों की थीं। ऐसी संपत्तियों को लेकर बनाए गए रक्षा अधिनियम-1962 के तहत सरकार ने महमूदाबाद रियासत की संपत्तियो को शत्रु संपत्ति घोषित करते हुए इन्हें अपने संरक्षण में ले लिया। साल 1973 में आमिर अहमद के बेटे राजा मोहम्मद आमिर मोहम्मद खान ने इन संपत्तियों पर दावा पेश किया। 2010 में तत्कालीन यूपीए सरकार ने शत्रु संपत्ति अधिनियम में संशोधन किया और राजा की सभी संपत्तियां कस्टोडियन में चली गईं। 7 जनवरी 2016 को नया अध्यादेश आने पर सुप्रीम कोर्ट ने शत्रु संपत्तियों को बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया था।चूंकि महमूदाबाद के इस राजपरिवार की अचल संपत्तियां बाराबंकी, सीतापुर और लखीमपुर में थी। हाईकोर्ट की गाइडलाइन के आधार पर एडीएम प्रशासन की कोर्ट में जोत सीमारोपण अधिनियम 1960 की धारा (2) के अंतर्गत सरकार बनाम राजा मोहम्मद अमीर अहमद खान का मुकदमा साल 2007 से चल रहा था। 26 दिसंबर, 2020 को एडीएम प्रशासन ने फैसला सुनाते हुए तीनों जिलों में जमीन और बागवान मिलाकर 422.005 हेक्टेअर सीलिंग भूमि घोषित कर दी। यानी 421 करोड़ की कीमत पर ये जमीन सरकारी कब्जे में चली गई।

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