- दादूपुर व केहरी नगला ग्राम भी आये बाढ़ की चपेट में
कमर तक भरे पानी से होकर ग्रामीण कर रहे हैं आवागमन
ग्रामीणों ने प्रशासन से नाव उपलब्ध कराने की उठायी मांग
यूपी की आवाज
शमशाबाद(फर्रुखाबाद)। बाढ़ ने एक बार फिर रौद्र रुप धारण कर लिया है। ग्राम दादूपुर तथा केहरी नगला में कमर तक पानी भर गया है। जिससे होकर ग्रामीण आवागमन करने को मजबूर हो रहे हैं।
जानकारी के अनुसार ढाईघाट शमसाबाद की गंगा कटरी क्षेत्र जहां एक लंबी समय से विनाशकारी बाढ़ का प्रकोप देखा जा रहा है। बाढ़ ग्रस्त इलाकों के लोगों को ढेर सारी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। बताया गया है जलमग्न क्षेत्र में निवास करने वाले लोगों को आज कल संक्रामक बीमारियों ने अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया। संक्रामक बीमारियों में सर्दी, जुकाम, बुखार, खांसी, मलेरिया, टाइफाइड के अलावा दाद, खाज, खुजली की समस्याएं प्रमुख हैं। संक्रामक रोग बच्चे, बूढ़े, जवान हर किसी के लिए बवाल-ए-जान साबित हो रहे हैं। बताते हैं अभी तक गंगा कटरी क्षेत्र के लगभग एक दर्जन ग्रामीण इलाकों में बाढ़ का प्रकोप देखा जा रहा था। हर दिन लाखों क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है। परिणामस्वरुप गंगा में छोड़ा जाने वाला पानी आजकल नए-नए गांवों को भी शिकार बनाता जा रहा है। कुछ गांव ऐसे हैं जहां कभी बाढ़ का पानी नहीं पहुंचता था। आजकल वहां भी बाढ़ का सैलाब देखा जा रहा है। सबसे बड़ी बात यह है जिस रास्ते से आम लोगों का आना-जाना होता है उन रास्तों में कमर तक पानी भरा हुआ है। जिन गलियों के सहारे लोग अपने घरों का सफर तय करते हैं उन गलियों में भी जनसैलाब देखा जा रहा है। लोगों का कहना था यहां कमर तक पानी में जान हथेली पर रखकर आवागमन करना पड़ रहा है। जरूरत के अनुरूप लोगों को आना भी पड़ता है और जाना भी पड़ता है। ऐसे हालात में हमेशा डर का माहौल देखा जा रहा है। विकास खंड शमशाबाद क्षेत्र की ग्राम पंचायत सुल्तानगंज खरेटा के मजरा केहरी नगला तथा दादूपुर जहां ग्रामीणों के अनुसार यहां कभी बाढ़ का पानी नहीं पहुंचता था, लेकिन इस बार अत्यधिक पानी छोड़े जाने के कारण खेत खलिहानों फसलों के साथ गांव में सैलाब का आलम देखा जा रहा है। चारों तरफ पानी ही पानी भरा हुआ देखा जा रहा। ग्रामीणों में शिवकुमार, लेखराज, गुलाब सिंह, राजीव कुमार, सुनील कुमार तथा केहरी नगला निवासी पप्पू, इंद्रपाल, श्रीपाल, लेखपाल आदि तमाम लोगों के मकानों में पानी भर गया है। जलभराव के कारण ग्रामीणों को घरों की छतों को सहारा बनाते हुए देखा गया। कुछ लोगों को दूसरे स्थानों की शरण में जाते हुए देखा गया। ग्राम प्रधान प्रतिनिधि सरनाम सिंह ने बताया प्रशासन द्वार किसी प्रकार की कोई भी मदद मुहैया नहीं कराई गई न ही स्वास्थ्य विभाग की टीम ने गांव आना मुनासिफ समझा।
बाढ़ ग्रस्त इलाकों के लोग संक्रामक बीमारियों से बेहाल है। संक्रामक बीमारियो से पीडि़त लोगों को कस्बे के प्राइवेट चिकित्सकों का सहारा लेना पड़ रहा है। एक तरफ बाढ़ का सैलाब तो दूसरी तरफ आर्थिक संकट से लोगों को दो चार होना पड़ रहा है। स्थानीय लोगों का कहना था लगातार बाढ़ के हालात विकराल होते जा रहे हैं। चारों तरफ पानी ही पानी दिखायी दे रहा है। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे में जानवरों के रहने व उनके चारे की भी समस्या उत्पन्न हो गयी है। ग्रामीण तो जैसे तैसे अपना गुजारा कर लेंगे, लेकिन जानवरों को वह साथ लेकर वह कहां जायें। यह सोचकर ग्रामीण खासे चिंतित हैं। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे हालातों में प्रशासनिक अधिकारियों को आवागमन हेतु एक नाव उपलब्ध कराई जानी चाहिए। जिससे ग्रामीण सुरक्षित रुप से आवागमन कर सकें।