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प्रधानमंत्री ने की मणिपुर पर जताई चिंता, लालकिले से शांति की अपील

यूपी की आवाज

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को लाल किले की प्राचीर से अपने देश के नाम संबोधन में मणिपुर में हुई हिंसा का जिक्र करते हुए वहां के लोगों से शांति की अपील की।

प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में विभिन्न स्थानों पर और विशेषकर मणिपुर में पिछले दिनों हिंसा का एक दौर देखा गया है। पूर्वोत्तर में विशेषकर मणिपुर में, जो हिंसा का दौर चला, कई लोगों को अपना जीवन खोना पड़ा, मां-बेटियों के सम्मान के साथ खिलवाड़ हुआ। लेकिन कुछ दिनों से लगातार शांति की खबरें आ रही हैं।

प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में देशवासियों को परिवारजन कहकर संबोधित किया और सबसे इसमें सहयोग की अपील की।

उन्होंने कहा कि इस बार प्राकृतिक आपदा ने देश के अनेक हिस्सों में अकल्पनीय संकट पैदा किए। जिन परिवारों ने इस संकट को सहन किया है वे उन सभी परिवारों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करते हैं। राज्य-केंद्र सरकार मिलकर उन सभी संकटों से मुक्त होकर तेजी से विकास की ओर आगे बढ़ेंगी, ये विश्वास दिलाता हूं।

वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाने के लिए भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण को मिटाना होगाः प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को 77वें स्वतंत्रता दिवस समारोह में राष्ट्र के नाम संबोधन में कहा कि वर्ष 2047 तक देश को विकसित बनाने के लिए भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण की तीन बड़ी बुराइयों से निपटना होगा।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से कहा कि 2047 तक देश का तिरंगा विकसित भारत का प्रतिनिधित्व करेगा। इसके लिए शुचिता, पारदर्शिता और निष्पक्षता की जरूरत है। हमें उन बुराइयों से आंख मिचौली बंद करना होगा जिनसे देश सालों से जूझता आ रहा है। ये बुराइयां हैं- भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण।

उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम में 10 करोड़ लोगों पर कार्रवाई की गई है। यह 10 करोड़ लोग कभी जन्मे ही नहीं। उन्होंने विभिन्न योजनाओं का लाभ उठाया। पिछले सालों में इस कार्रवाई के तहत 20 गुना ज्यादा जब्ती की गई है। उन्होंने कहा कि परिवारवाद के तहत राजनीतिक दलों में विकृतियां आई हैं। परिवारवादी पार्टियां केवल अपने लिए काम कर रही हैं। यह परिवारवाद प्रतिभा का दुश्मन है और योग्यता को नकारता है। वहीं, तुष्टीकरण से सामाजिक न्याय सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है। इससे देश का राष्ट्रीय चरित्र प्रभावित हुआ है।

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