उत्तर प्रदेश

बरेली के नवागंतुक कलक्टर रवींद्र कुमार ने दो बार किया है एवरेस्ट फतह

मर्चेंट नेवी की नौकरी छोड़कर बने थे आईएएस अधिकारी

  • एवरेस्ट बेस कैंप में खुद को खतरे में डालकर बचाई थी कई लोगों की जान
  • कविता लिखने के हैं शौकीन, लिख चुके हैं एक पुस्तक
यूपी की आवाज

बरेली। भारत माता की कोख से असंख्य मनीषी, विद्वानों, देशभक्तों ने जन्म लिया है। आज यूपी की आवाज ऐसे ही एक मणि के जीवन चरित्र को पाठकों के समक्ष ला रही है। बरेली के नवागंतुक जिलाधिकारी रवीन्द्र कुमार नेवी के अधिकारी रहे, एक बार नहीं दो-दो बार एवरेस्ट फतह की। रवीन्द्र कुमार का सपना आईएएस अधिकारी बनना था, इसलिए वे नेवी को छोड़कर उन्होंने आईएएस अधिकारी बने। आईएएस रवींद्र कुमार बिहार राज्य के बेगूसराय के रहने वाले हैं और अब वे बरेली के जिलाधिकारी पद को सुशोभित कर रहे हैं।


दरअसल बरेली के जिलाधिकारी शिवाकांत द्विवेदी 31 अक्टूबर को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इससे पहले उन्हें रिटायरमेंट से जुड़ी विभागीय प्रक्रिया पूरी करने के लिए मुख्यालय बुला लिया गया है। शिवाकांत द्विवेदी को विधानसभा चुनाव के दौरान निर्वाचन आयोग ने भेजा था। उन्होंने बरेली को काफी बेहतर ढंग से चलाया। मगर, अब बरेली की कमान झांसी के डीएम रहे रविंद्र कुमार को सौंपी गई है। 2011 बैच के आईएएस अफसर रविंद्र कुमार बुलंदशहर में भी डीएम रह चुके हैं। उन्होंने कई जिलों में एसडीएम, डीएम, आयुक्त मनोरंजन कर सहित विभिन्न पदों पर काम किया है। भारत सरकार में केंद्रीय पेयजल, और स्वच्छता मंत्री, उमा भारती के निजी सचिव के रूप में दिसंबर 2017, से 14 जून 2019 तक काम किया।


बिहार के बेगूसराय जिले के चेरिया बरियारपुर प्रखंड के बसही गांव के किसान परिवार में जन्में आईएएस रवींद्र कुमार बचपन से ही पढ़ने-लिखने में उस्ताद रहे हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई गांव के ही हिंदी माध्यम स्कूल में हुई। इसके बाद 10वीं तक की पढ़ाई जवाहर नवोदय विद्यालय, बेगूसराय से की। इसके बाद 12वीं पास किया रांची के जवाहर विद्या मंदिर से। रवींद्र कुमार ने 12वीं के बाद 1999 में आईआईटी की प्रवेश परीक्षा पास की, लेकिन शिपिंग में करियर बनाने के लिए मर्चेंट नेवी ज्वाइन कर लिया।
रवींद्र कुमार ने साल 2002 से 2008 तक मर्चेंट नेवी में काम किया। इसके बाद उन्होंने 2009 में नौकरी छोड़ दी। इसके बाद सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी के लिए दिल्ली आ गए। यूपीएससी का कठिन इम्तिहान पास करने के बाद उन्हें सिक्किम कैडर मिला। इसके बाद 2014 में ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पेयजल और स्वच्छता राज्य मंत्री के साथ काम करने के लिए नई दिल्ली आ गए। साल 2016 में उनका कैडर बदलकर सिक्किम से उत्तर प्रदेश कर दिया गया।
भारत माँ के लाल तथा बरेली के डीएम रवींद्र कुमार दो बार माउंट एवरेस्ट फतेह कर चुके हैं। उन्होंने पहली बार 19 मई 2013 को माउंट एवरेस्ट फतेह किया। इसके बाद साल 2015 में उन्होंने दोबारा माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई की। इसका मकसद स्वच्छ भारत अभियान के बारे में जागरूकता फैलाना था। उनके इस अभियान को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हरी झंडी दिखाई थी। अपने दूसरे अभियान के दौरान उन्होंने भूकंप और हिमस्खलन के बाद एवरेस्ट बेस कैंप में खुद को खतरे में डालकर कई लोगों की जान बचाई।

कविताएं लिखने का है शौक

आईएएस रविंद्र कुमार 2011 बैच के सिक्किम कैडर के अधिकारी हैं। उनका जन्म 1981 में बिहार के बेगूसराय में किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम शिवनंदन प्रसाद सिंह है। रविंद्र कुमार को शुरू से कविताएं लिखने का भी काफी शौक रहा है। उन्होंने गरीबी और भ्रष्टाचार पर काफी कविताएं लिखी हैं। रविंद्र कुमार ने 10वीं कक्षा की पढ़ाई बेगूसराय के जवाहर नवोदय से की थी। इसके बाद रांची में डीएवी से 12वीं की और मुंबई में मर्चेंट नेवी की पढ़ाई करने चले गए। उनका सेलेक्शन आईआईटी में भी हुआ था, लेकिन वह गए नहीं। उन्होंने इटली की एक कंपनी में छह साल तक नौकरी भी की। इस दौरान उन्होंने मार्शल आर्ट्स में ब्लैक बेल्ट और तैराकी में महारत हासिल की।

तीन मंजिला बिल्डिंग पर चढ़कर की प्रैक्टिस

इससे पहले उन्होंने दार्जिलिंग में एक इंस्टीट्यूट से इसके लिए कोर्स भी किया था। कोर्स करने के बाद रविंद्र कुमार ने रोज कम से कम चार घंटे ट्रैकिंग की प्रैक्टिस की थी। यह प्रैक्टिस उन्होंने गंगटोक में तीन मंजिला बिल्डिंग पर की। उन्होंने माउंट एवरेस्ट पर एक नहीं बल्कि दो बार चढ़ाई की है। ऐसा करने वाले चंद भारतीय ही हैं। रविंद्र कुमार चीन और नेपाल के रास्ते से माउंट एवरेस्ट फतह कर चुके हैं।

ये अवार्ड मिले

आईएएस अधिकारी रविंद्र कुमार को सिक्किम खेल रत्न अवार्ड, बिहार विशेष खेल सम्मान, कुश्ती रत्न सम्मान समेत कई पुरस्कार मिल चुके हैं। वर्ष 2015 में उन्होंने एक अभियान के दौरान के भूकंप का सामना किया था। इसमें उन्होंने अपनी जान की परवाह किए बिना कई लोगों की जान बचाई थी। रविंद्र कुमार सीडीओ, डीएम और कमिश्नर समेत कई पदों पर कार्य कर चुके हैं।
किताब भी लिखी है रविंद्र कुमार ने इसके अलावा उन्होंने एक किताब भी लिखी है। इसमें उन्होंने अपनी एवरेस्ट पर चढ़ाई का पूरा रोमांच निचोड़ दिया है। 2013 में एवरेस्ट पर चढ़ाई के बाद रविंद्र कुमार ने मेनी एवरेस्ट्स नाम से किताब लिखी थी। इसमें उन्होंने यात्रा की पूरी जानकारी के साथ ही चुनौतियों को भी सांझा किया।

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