समधी और बीजेपी नेता हरिओम यादव बने मध्यस्थ
लखनऊ, यूपी की आवाज।
जानिए कौन हैं हरिओम यादव
सिरसागंज विधानसभा सीट से रह चुके हैं विधायक
लगातार उपेक्षा का आरोप
यूपी की राजनीति में बेटे आदित्य के लिए संभावनाएं तलाश रहे शिवपाल यादव
लखनऊ । उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। नतीजे आने के बाद नई सरकार का शपथ ग्रहण भी हो चुका है। विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता भी ले ली है। यहां तक कि नए मंत्रियों ने विभागों के बंटवारे के बाद अपने विभाग भी संभाल लिए हैं पर इस सब के बीच यूपी के राजनीतिक गलियारों में इस समय हलचल मची हुई है। वजह है प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (प्रसपा) के प्रमुख शिवपाल सिंंह यादव का पहले दिल्ली में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात करना और फिर लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलना।
मुलाकातों के इस दौर में सियासी गर्मी पूरे उफान पर है। सूत्रों की मानें तो शिवपाल यादव अपने समर्थकों के साथ भाजपा ज्वाइन कर सकते हैं। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण है बेटे आदित्य यादव का उत्तर प्रदेश की राजनीति में भविष्य सुरक्षित करना। शिवपाल यादव बेटे आदित्य के लिए संभावनाएं तलाश रहे हैं। अटकलें लग रही हैं कि आजमगढ़ से उपचुनाव में आदित्य यादव भी चुनावी मैदान में उतर कर ताल ठोक सकते हैं। अब इस बात में कितनी सच्चाई है ये तो वक्त ही बताएगा लेकिन वर्तमान में शिवपाल सिंंह यादव की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद कईयों की नीदं उड़ चुकी है। आज भी सीएम आवास पर मुख्यमंत्री और शिवपाल के बीच करीब 25 मिनट की मुलाकात हुई।
अटकलें ये भी लग रही हैं कि भाजपा शिवपाल को अखिलेश यादव के इस्तीफा देने से रिक्त हुई आजमगढ़ संसदीय सीट के उपचुनाव में भी उतार सकती है। अगर ऐसा होता है तो शिवपाल अपनी जसवंतनगर विधानसभा सीट से बेटे आदित्य यादव को उपचुनाव में भाजपा के टिकट से उतार सकते हैं।
बताया जा रहा है इस मुलाकात के तुरंत बाद सीएम योगी ने संगठन के बड़े नेताओं को चर्चा के लिए बुलाया था। बताया यह भी जा रहा है कि उन्हें भाजपा राज्यसभा भी भेज सकती है। भाजपा में जाने के कयास इसलिए भी लगाए जा रहे हैं क्योंकि शारदा प्रताप शुक्ला, शिव कुमार बेरिया सहित उनके कई करीबी नेता पहले ही भगवा खेमे में जा चुके हैं।
शिवपाल के भाजपा में जाने की अटकलों को इसलिए भी हवा मिल रही है क्योंकि न तो उनकी ओर से और न ही उनकी पार्टी की ओर से इसका खंडन किया गया। शिवपाल ने विधायक पद की शपथ लेने के बाद बुधवार को मीडिया से बस इतना कहा था कि ‘समय आने पर सब बताऊंगा इंतजार कीजिए।’
उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में छोटे दलों के साथ गठबंधन कर 125 सीट जीतने वाले अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी विधायक दल का नेता चुना गया है। समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर इटावा के जसवंतनगर से चुनाव जीते शिवपाल सिंह यादव सपा विधायक दल की बैठक में आमंत्रित ना होने के कारण अखिलेश यादव से बेहद नाराज हैं।
शिवपाल सिंह शनिवार 25 मार्च को सपा विधानमंडल दल की बैठक में नहीं बुलाए जाने से नाराज शिवपाल इटावा चले गए थे। शिवपाल सिंह यादव लखनऊ में मंगलवार (29 मार्च) शाम को सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी तथा अपना दल कमेरावादी के साथ अखिलेश यादव की होने वाली बैठक में शामिल नहीं हुए थे। समाजवादी पार्टी के कार्यालय में अखिलेश यादव ने सहयोगी दलों की बैठक बुलाई थी।
इस बैठक में भाग लेने शिवपाल सिंह यादव नहीं पहुंचे थे। इस बैठक में भाग लेने सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी विधायक दल के नेता ओमप्रकाश राजभर, राष्ट्रीय लोकदल विधायक दल के नेता राजपाल बालियान तथा अपना दल कमेरावादी के पंकज निरंजन शामिल हुए थे। कौशांबी के सिराथू से केशव प्रसाद मौर्य को चुनाव हराने वाली पल्लवी पटेल भी इस बैठक में नहीं पहुंचीं थीं, उनकी जगह पर पंकज निरंजन आए थे। पल्लवी पटेल भी अपना दल कमेरावादी पार्टी की नेता हैं, वह भी समाजवादी पार्टी के चुनाव चिन्ह पर लड़ी थीं।
समाजवादी पार्टी की विधायक दल की बैठक में न बुलाए जाने से नाराज शिवपाल यादव ने इटावा से नई दिल्ली जाकर मुलायम सिंह यादव से भेंट की थी। शिवपाल सिंह यादव ने पहले से ही तय कर रखा था कि अखिलेश यादव के साथ मंगलवार शाम को समाजवादी पार्टी के सहयोगी दलों की बैठक में वो शामिल नहीं होंगे। उनको बैठक के लिए पत्र भेजा गया था। समाजवादी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से नाराज चल रहे प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया के अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव का कहना है कि वह तो समाजवादी पार्टी सपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। इसलिए उनको तो समाजवादी पार्टी विधायक दल की बैठक में बुलाया जाना चाहिए था।