मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ शुक्रवार को शाम चार बजे लखनऊ के इकाना स्टेडियम में लगातार दूसरे कार्यालय के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। भाजपा ने लगातार दूसरी बार अपनी सरकार में बलिया जनपद का मान बरकरार रखा है। योगी आदित्यनाथ के दूसरे कार्यकाल में जमीन से जुड़े लोगों को भी मंत्री बनने का मौका मिला है। योगी सरकार के दूसरे कार्यकाल के मंत्रिमंडल में हर वर्ग के और हर जाति के लोगों का समावेश किया गया है। इसे प्रधानमंत्री के संदेश ‘सबका साथ सबका विकास’ की नजर से भी देखा जा रहा है। मंत्रिमंडल में शामिल एक मात्र मुस्लिम चेहरा दानिश आजाद अंसारी के पिता बुनकर हैं। वह साड़ियां बुनते हैं। दानिश साधारण परिवार से आते हैं। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से भी जुड़े रह चुके हैं और लंबे समय से भाजपा में सक्रिय हैं। वह भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश महामंत्री हैं। दानिश ने अपनी शुरुआती पढ़ाई बलिया से और स्नातक लखनऊ से किया है।
चौंका गया दानिश आजाद का नाम
मंत्रिमंडल का दूसरा नाम सिर्फ जनपदवासियों के लिए ही नहीं बल्कि दो मंत्री बना उनके परिजनों के लिए भी सबसे चौंकाने वाला रहा। ये जनपद के अपायल गांव के निवासी युवा नेता एवं भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश महामंत्री दानिश आजाद का है। 32 साल के दानिश आजाद समीउल्लाह अंसारी के इकलौते पुत्र हैं। एक बहन है जिसकी शादी हो चुकी है। समीउल्लाह अंसारी समाजसेवी हैं। माता नूरजहां बानो प्रधानाध्यापक हैं। दोनों इस समय बेटी के पास गल्फ कंट्री में हैं।
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दानिश ने 2006 में लखनऊ यूनिवर्सिटी से बीकॉम की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद यहीं से मास्टर ऑफ क्वालिटी मैनेजमेंट, फिर मास्टर ऑफ पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई की है। भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से राजनीति की शुरुआत की। दानिश ने एबीवीपी के साथ-साथ भाजपा और आरएसएस के लिए युवाओं के बीच माहौल बनाया।
खासतौर पर मुस्लिम युवाओं के बीच। यही कारण रहा कि इस बार उनके गांव से भी मुस्लिम मतदाताओं के अच्छे खासे वोट भाजपा को मिले। चुनाव के दौरान उनके चचा के लड़के की शादी थी। वो घर पर ही रहे और चुनाव में अच्छा कार्य किया। उन्होंने उप्र में भाजपा सरकार आने के बाद भाषा समिति का सदस्य भी बनाया गया था। आजाद लगातार अल्पसंख्यक समाज व युवाओं में अपनी सक्रियता बनाए हुए थे।
मैकेनिक से मंत्री बने गुरु
वहीं, सीतापुर से चुनाव जीतकर राज्यमंत्री बनने वाले राकेश राठौर गुरु पैसे से मैकेनिक हैं। राज्यमंत्री बनने वाले राकेश राठौर की कहानी फिल्मी पटकथा से कम नहीं है। मिश्रिख के निवासी राकेश राठौर गुरू 40 साल पहले सीतापुर आए थे। यहां पर इन्होंने आरएमपी मोड़ के पास लकड़ी की गुमटी से स्कूटर मिस्त्री की शुरुआत की थी। करीब 10 साल तक स्कूटर बनाने के बाद इन्होंने शहर कोतवाली के पास बैटरी की दुकान खोली।
स्कूटर बनाने के साथ बैटरी का कारोबार खूब चमका। वह अपने कारोबार को और चमकाने में लगे थे, कि इसी बीच 8 जनवरी को विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया। व्यवहार और सादगी के साथ किस्मत के धनी बैटरी वाले राकेश राठौर गुरू भाजपा से टिकट पाकर सदर सीट से चुनावी अखाड़े में उतरे और जीत कर सभी को चौंका दिया। अब एक बार मंत्री बनकर उन्होंने एक बार फिर सभी को चौंकाने का काम किया है।