नई दिल्ली, 13 अप्रैल। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्री आदेश गुप्ता ने कहा कि मनीष सिसोदिया के ‘वर्ल्ड क्लास’ शिक्षा व्यवस्था की सच्चाई यह है कि दिल्ली के लगभग 700 से अधिक स्कूलों में साइंस की पढ़ाई तक नहीं होती और लगभग 24,000 शिक्षकों की कमी है। दिल्ली सरकार के 700 से ज्यादा विद्यालयों में प्रधानाध्यापक और 400 से ज्यादा विद्यालयों में उपप्रधानाध्यापक तक नहीं है। उन्होंने कहा कि आज दिल्ली सरकार द्वारा चलाए जा रहे 12 कॉलेज हैं जिनके शिक्षक एवं कर्मचारियों को कई महीनों से वेतन तक नहीं मिल रहा है। क्या ऐसे ही शिक्षा मॉडल को दिखाने के लिए मनीष सिसोदिया ने गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र रजनीकांत पटेल को दिल्ली में न्योता दे रहे हैं।
श्री आदेश गुप्ता ने कहा कि दिल्ली के वर्ल्ड क्लास शिक्षा व्यवस्था की जब नेता प्रतिपक्ष एवं भाजपा सांसदों द्वारा रियलिटी टेस्ट किया गया तो उसमें कोई भी स्कूल पास नहीं हुआ। कई सारे स्कूलों में लैब एवं लाइब्रेरी नहीं है तो कई स्कूलों की इमारतों को जर्जर घोषित करने के बावजूद भी उसमें बच्चे पढ़ाई करने को मजबूर हैं। इतना ही नहीं एक स्कूल में दो-दो घंटों के चार शिफ्टों में पढ़ाई कराई जा रही है। जबकि हकीकत यह है कि पिछले सात सालों में एक भी स्कूल की नई इमारत नहीं बनवाई गई। कई सारे स्कूल आज भी टिन शेड में चल रहे हैं।
श्री आदेश गुप्ता ने कहा कि मनीष सिसोदिया दिल्ली के जिस शिक्षा मॉडल की बात कर रहे हैं, उसी शिक्षा मॉडल के निदेशक का कहना था कि परीक्षा में आप उत्तर की जगह प्रश्न ही लिख दीजिए आपको पूरे अंक मिल जाएंगे। यही नहीं मनीष सिसोदिया खुद दिल्ली यूनिवर्सिटी को यह तक लिख चुके हैं कि अपने कॉलेजों के शिक्षक कर्मचारियों एवं गैर शिक्षक कर्मचारियों को सैलरी नहीं दे पा रहे हैं। इसके लिए या तो हमें फीस बढ़ानी पड़ेगी या फिर छात्र- छात्राओं के वेलफेयर के पैसों का इस्तेमाल सैलरी देने के लिए करना पड़ सकता है। जबकि हकीकत यह है कि दिल्ली सरकार शिक्षा बजट का सिर्फ 30 प्रतिशत ही हर साल खर्च कर पाती है और बाकी पैसा विज्ञापनों पर खर्च होते हैं। यही नहीं पिछले सात सालों में केजरीवाल सरकार द्वारा पब्लिक स्कूलों के फीस तीन गुना बढ़ा दी गई। एक तरफ मनीष सिसोदिया फीस बढ़ाते हैं और प्रबंधन से सांठ-गांठ करके उनको अधिक फीस वसूलने के लिए प्रोत्साहित करते हैं तो दूसरी तरफ फीस ना बढ़ाने का ढोंग रचते हैं, उनका यह दोहरा चेहरा अब बेनकाब हो चुका है।
उन्होंने कहा कि मनीष सिसोदिया ने गुजरात के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि दिल्ली के स्कूलों में गरीब से लेकर अमीर परिवार के बच्चे भी पढ़ रहे हैं, लेकिन सिसोदिया ने उस पत्र में इस बात का जिक्र तक नहीं किया कि आखिर केजरीवाल सरकार के कितने मंत्रियों के बच्चे उनके सरकारी विद्यलयों में पढ़ते हैं। जब दिल्ली का शिक्षा मॉडल इतना ही बेहतर है तो उसमें आम आदमी पार्टी के मंत्रियों या पदाधिकारियों का कोई बच्चा क्यों नहीं पढ़ता है?