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मध्यप्रदेश की राजनीति में इंदौर बना अखाड़े का केंद्र

ब्यूरो, मध्यप्रदेश

नईदिल्ली-

मध्यप्रदेश का इंदौर शहर हमेशा चर्चा का केंद्र रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर मालवा और मेवाड़ के 66 विधानसभा सीटों में 9 विधानसभा सीट इंदौर क्षेत्र से आती है। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपनी पिछली चुनावी यात्रा इंदौर से ही प्रारंभ की थी। जिसके बाद से भाजपा का समीकरण तेजी से बिगड़ा। मालवा रिजन में किसान गोली कांड से राहुल ने जिस प्रकार सघन प्रचार अभियान चलाया था उससे कांग्रेस की इस क्षेत्र में बड़ी मजबूती मिली और कमलनाथ की सरकार मध्यप्रदेश में बनी।

2018 के विधानसभा चुनाव के नतीजों की बात करें तो दयालपुर विधानसभा सीट से कांग्रेस के विशाल जगदीश पटेल, इंदौर 1 से कांग्रेस के संजय शुक्ला, इंदौर 2 से रमेश मेडोला और सबसे बहुचर्चित सीट इंदौर 3 से भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के पुत्र अपने विवादों के लिए जानने वाले आकाश विजयवर्गीय जीत हासिल की थी।

इंदौर 4 से मालिनी गौड़, इंदौर 5 से महेंद्र हरड़िया, महुस से उषा ठाकुर ने भाजपा की टिकट पर चुनाव जीता था। राऊ में कांग्रेस के तेज तर्रार नेता जीतू पटवारी और सामवेर से टिकट पर तुलसी सिलावट ने जीत दर्ज की ली। उसके बाद 2020 में सामवेर में हुए उपचुनाव में भाजपा के हरदीप सिंह डंग को जीत हासिल हुई।

इंदौर संभाग सत्ता का केंद्र रहा है. यहां की राजनीति ने 5 दिग्गज नेता सुमित्रा महाजन, कैलाश विजयवर्गीय, सज्जन सिंह वर्मा, जीतेंद्र पटवारी और मालिनी गौड़ ने राजनीति में जबरदस्त शोहरत हासिल की।

दिल्ली में पिछले दो दिनों से कांग्रेस मालवा निवाड़ के 66 सीटों के अलावा प्रदेश के 100 पर मंथन कर रही है। और भाजपा के खिलाफ सशक्त उम्मीदवार को मैदान में उतारने की कवायत में जुटी है। स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक के बाद ये सभी सूचियां सीईसी को भेज दी जाएगी। कांग्रेस आलाकमान इन सीटों पर मुहर लगाएगा।

इंदौर संभाग में जो दो सीटो पर सर्वाधिक चर्चा में है उनमें जीतू पटवारी और कैलाश विजयवर्गीय के समक्ष मोहन डोकानिया के नाम पर सर्वाधिक चर्चा हो रही है। राजनीति विश्लेषकों का मानना है कि राहुल के भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस की स्थिति मध्यप्रदेश में काफी मजबूत हुई है। शिवराज सिंह चौहान के वर्तमान सरकार के खिलाफ एंटी एंकेबेसी का मामला भी जोर-शोर से उठ रहा है। वहीं व्यापक घोटाला, अफसरशाही, भ्रष्ट अफसर पर नकेल न कसे जाने के बाद से और बढ़ती महंगाई के कारण जनता में भाजपा के खिलाफ रोष उत्पन्न हो चुका है।

कांग्रेस की सूची जारी होने के बाद भाजपा अपनी दूसरी सूची जारी करेगी। इस चुनाव में मिलगाकर और प्रवीण कक्कड़ का मुद्दा भी भाजपा उछाल सकती है।

मुकेश सिंह की बढ़ती रसूख और कार्यकर्ताओं से बुरे बर्ताव के कारण कांग्रेसी भी नाराज चल रहे हैं इसको देखते हुए कांग्रेस हर सीट पर दमदार उम्मीदवार कद्दावर नेताओं को उतारेगी। ऐसे में पटवारी और डोकानिया तरुप के इक्का साबित हो सकते हैं।

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