बाहरी लोगों ने कब्रिस्तान में बनाया आशियाना
कब्र के पास लगती है पाठशाला
चौंकिए नहीं जनाब यह बिल्कुल सही है। बच्चे कब्र के पास खेलते हैं, खाते हैं और पढ़ते भी हैं। यह खुलासा चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस द्वारा डीएम और एसएसपी को भेजें पत्र में हुआ। कब्रिस्तान मैं मुर्दे ही नहीं जिंदा लोग भी रहते हैं। बाहरी जनपदों और राज्यों से आकर कब्रिस्तान में लोगों ने आशियाना बना लिया है। कब्र के आसपास बच्चे खेलते हैं। वहीं बैठ कर खाना खाते हैं और उसी कब्रिस्तान में बने स्कूल में तालीम लेते हैं।
सत्यापन की उठाई मांग
चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट एवं महफूज संस्था के समन्वयक नरेश पारस ने डीएम तथा एसपी को भेजे गए पत्र में कहा है कि पंचकुइयां कब्रिस्तान के अंदर बड़ी संख्या में लोग झुग्गी-झोपड़ियां बनाकर रहते हैं। कुछ ने पक्के निर्माण भी करा लिए हैं । ये अलग अलग जगहों से आकर रह रहे हैं। इनके नाम पते भी संदिग्ध हैं। अधिकांश लोगों के पास पहचान पत्र नहीं है यह कौन लोग हैं कहां से आए हैं एक रहस्य बना हुआ है। कोविड से बचाव के लिए नरेश पारस द्वारा स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से यहां वैक्सीनेशन कैंप भी लगाया गया था। जिसमें लोगों ने बचाव का टीका लगवाया था। उसी दौरान जानकारी हुई एक कब्रिस्तान के अंदर जिंदा लोग रहते हैं। इस कब्रिस्तान में एक विद्यालय भी है। जहां कुछ बच्चे तालीम लेते हैं।
बच्चे मांगते हैं भीख
कब्रिस्तान में रहने वाले बच्चे भीख मांगतेे हैं। कब्रिस्तान के अंदर मृतक के परिजन खाने पीने की चीजें बांटते हैं। कुछ लोग गुुब्बारे बेचते हैं तथा भिक्षावृत्ति करते हैं। लगातार काउंसलिंग करने पर कुछ बच्चे कब्रिस्तान के अंदर ही बने स्कूल में पढ़तेेे हैं। इनके नाम भी संदिग्ध हैं। कोई भी व्यक्ति यहां शरण ले सकता है। इससे आपराधिक प्रवृत्ति को बढ़ावा मिल सकता है। बच्चे शिक्षा से न जुड़कर भिक्षावृत्ति की ओर अग्रसर हो रहे हैं। सुरक्षा कारणों का बहाना बनाकर बाहर स्कूल पढ़ने नहीं जाते हैं। सभी बच्चे मुर्दों की कब्रों के इर्द गिर्द ही घूमते रहते हैं।
सभी का हो सत्यापन
नरेश पारस ने मांग की है कि पंचकुइयां कब्रिस्तान के अंदर रहने वाले सभी लोगों की जांच कराकर उनका सत्यापन कराया जाए। बच्चों का बाहर के स्कूलों में दाखिला कराया जाए। उनका नियमित टीकाकरण कराया जाए तथा उनको आंगवाड़ी से भी जोड़ा जाए। जिससे वह स्वस्थ एवं शिक्षित हो सकें।