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आज पूरा विश्व बेरोजगारी कि मार झेल रहा है, वहीं भारत में भी बेरोजगारी लगातार बढ़ती जा रही है। कोरोना महामारी कि लहरों ने करोड़ों लोगों को बेरोज़गार बना दिया है, जिससे पढ़े-लिखे नौजवान आज बेरोजगार घूम रहे हैं।
जहाँ अनेकों सामाजिक संगठन इस समस्या के निवारण के लिए आगे आकर काम कर रहे हैं वहीँ डॉ दिव्या तंवर ने भारत में अनेकों युवा वर्ग एवं महिलाओं को रोजगार देकर समाज में उल्लेखनीय योगदान दिया है। ख़ास तौर से ग्रामीण इलाकों में जागरूकता फैलाने और लोगों को सक्षम बनाने में कदम बड़ा रही हैं।
डॉ दिव्या तंवर दिव्य फाउंडेशन की संस्थापक, एवं संस्कृति यूनिवर्सिटी की निर्देशक हैं। वह एक साइबर सुरक्षा विशेषज्ञ हैं और उन्होंने “मैनेजमेंट इनफार्मेशन सिस्टम्स’, ‘डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम’, और ‘साइबर क्राइम्स: ए न्यू थ्रेट टू सोसाइटी’ जैसी किताबे लिखी हैं। डॉ दिव्या तंवर समाज सेवा के प्रति काफी समर्पित हैं और अपने एनजीओ – दिव्य फाउंडेशन के माध्यम से महिलाओं और बालिकाओं के कौशल विकास को बढ़ावा देती है और छात्रों के उज्जवल भविष्य के लिए मार्गदर्शन देने के लिए हमेशा तत्पर रहती हैं।
दिव्य फाउंडेशन का उद्देश्य समाज के वंचित वर्ग कि महिलायें एवं बालिकाओं को उपयुक्त कौशल के साथ प्रशिक्षित करके उन्हें आर्थिक रूप से सक्षम बनाना है।
“मैं एक ऐसे देश की कामना रखती हूँ, जहाँ हर कोई सशक्त हो और अपनी जिंदगी में कुछ बेहतर कर सके।” डॉ दिव्या तंवर।
दिव्य फाउंडेशन महिलाओं पर सामाजिक, मानसिक, और घरेलु उत्पीड़न का विरोध करती है और साथ ही महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में शिक्षित कर घरेलु हिंसा से भी उन्हें सुरक्षित करने का प्रयास करती है, एवं जरुरत पड़ने पर कानूनी, चिकित्सा और मानसिक समर्थन भी प्रदान करती है।