देश-दुनियाँ

जांच के साथ टीबी के प्रति लोगों को जागरूक भी कर रहे शंभूकांत झा

-धोरैया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लैब टेक्नीशियन के पद पर हैं तैनात
-2025 तक जिले को टीबी से मुक्त कराने में निभा रहे महत्वपूर्ण भूमिका
बांका, 4 अगस्त-
जिले को 2025 तक टीबी से मुक्त कराने में स्वास्थ्य विभाग लगा हुआ है। विभाग के इस अभियान को अमलीजामा पहनाने में एक-एक कर्मी लगे हुए हैं। आशा कार्यकर्ता से लेकर लैब टेक्नीशियन तक अपनी भूमिका निभा रहे हैं। धोरैया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) में तैनात लैब टेक्नीशियन शंभूकांत झा लोगों की टीबी जांच तो कर ही रहे हैं। साथ में ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को जागरूक भी कर रहे हैं। इस वजह से टीबी मरीजों की पहचान में भी तेजी आई है।
शंभूकांत झा कहते हैं कि टीबी मरीजों की जांच करना तो मेरा रूटीन कार्य है, जिसे मैं पिछले कई वर्षों से कर रहा हूं। मैंने कुछ अलग करने की सोची तो मुझे लगा कि जो काम मैं कर रहा हूं, उसी में कुछ और बेहतर किया जा सकता है। इसके बाद मैंने अपने गांव समेत आसपास के गांवों में टीबी को लेकर लोगों को जागरूक करना शुरू कर दिया। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को थोड़ी जानकारी कम रहती है शहर के मुकाबले। अगर वहां के लोग भी टीबी के लक्षण और इसके बचाव के बारे में जान लेंगे तो इस बीमारी को जड़ से समाप्त करने में काफी मदद मिलेगी। यही सोचकर मैंने जागरूकता का काम शुरू किया। शंभूकांत झा कहते हैं कि एक महीने में लगभग 100 लोगों की टीबी जांच तो कर ही लेते हैं। तीन से चार लोग प्रतिदिन टीबी की जांच कराने के लिए आते हैं। जांच में टीबी की पुष्टि हो जाने के बाद उसका इलाज शुरू किया जाता है।
कोरोना के मामले कम हुए तो जांच में आई तेजीः शंभूकांत झा कहते हैं कि कोरोना के वक्त टीबी जांच कराने वालों की संख्या काफी कम हो गई थी। दरअसल, उस वक्त लोग जांच कराने से कतराते भी थे। लोगों को डर लगता था कि टीबी जांच कराने के दौरान कहीं कोरोना की चपेट में नहीं आ जाएं, लेकिन जब कोरोना कम हुआ तो लोगों को समझाया। इसका असर भी हुआ। अब काफी सारे लोग टीबी जांच कराने के लिए अस्पताल आते हैं। साथ ही अभी धान की रोपनी चल रही है। खेतों में भी जाकर लोगों को समझाने की कोशिश करता हूं। इसका असर भी पड़ रहा है।
मरीजों की तेजी से हो रही पहचानः जिला ड्रग इंचार्ज राजदेव राय कहते हैं कि टीबी उन्मूलन को लेकर हर स्तर पर प्रयास हो रहे हैं, इसी का नतीजा है कि तेजी से मरीजों की पहचान हो रही है। साथ में मरीज भी लगातार ठीक हो रहे हैं। हमलोग जितने भी कर्मी हैं, सभी का यही प्रयास रहता है कि सरकार की तरफ से जो भी सुविधा टीबी मरीजों के लिए उपलब्ध है, उसे आमलोगों तक पहुंचाया जाय। चाहे जांच, इलाज से लेकर मुफ्त दवा की व्यवस्था हो या फिर जब तक टीबी का इलाज चल रहा हो, तब तक सही पोषण के लिए मिलने वाली राशि, इसे सभी मरीजों को लगातार हमलोग पहुंचा रहे हैं।
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