सैफई: एक्सप्रेसवे पर फूड प्लाज़ा की बदहाली ने खोली यूपीडा की पोल, यात्रियों को नहीं मिल रही बुनियादी सुविधाएं
सैफई । 302 किलोमीटर लंबे आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर यात्रियों की सहूलियत के लिए यूपीडा (उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी) द्वारा बनाए गए फूड प्लाज़ा की व्यवस्थाएं बदहाल स्थिति में पहुंच गई हैं। सैफई क्षेत्र में स्थित चैनल संख्या 104 पर बने फूड प्लाज़ा का हाल देख यह साफ हो जाता है कि यूपीडा की वेबसाइट पर दर्ज ‘हाई स्टैंडर्ड’ सुविधाएं केवल कागजों तक ही सीमित हैं।
शौचालय गंदगी से अटे, पीने का पानी तक नहीं
स्थलीय निरीक्षण में पाया गया कि फूड प्लाज़ा में बने महिला एवं पुरुष शौचालयों की हालत अत्यंत खराब है। फर्श पर पानी भरा हुआ है, नलों में लीकेज है और दरवाजे टूटे हुए हैं। बदबू इतनी कि लोग भीतर जाने से कतराते हैं। विकलांगजनों के लिए बने विशेष शौचालय ताले में बंद मिले। सफाईकर्मी नदारद रहे और नियमित सफाई की कोई व्यवस्था नहीं दिखाई दी।
रेस्टोरेंट में एसी बंद, भोजन महंगा और गुणवत्ता बेहद खराब
फूड प्लाज़ा के प्रथम तल पर बने रेस्टोरेंट में एसी बंद पड़े हैं, केवल पंखे की हवा में लोग पसीने-पसीने हो रहे हैं। खाने-पीने की दरें बाजार से कई गुना अधिक हैं जबकि गुणवत्ता बेहद निम्न स्तर की है। ढाबे में यात्रियों से टोकन लेकर लंबा इंतज़ार कराया जाता है और पानी तक पीने के लिए बोतल खरीदने पर मजबूर किया जाता है। गिलास तक उपलब्ध नहीं हैं।
यूपीडा की गाइडलाइन का खुला उल्लंघन
यूपीडा की वेबसाइट पर दर्ज सुविधाएं जैसे – शुद्ध पेयजल, स्वच्छ शौचालय, वातानुकूलित विश्राम स्थल, दिव्यांगजन के लिए सुविधाएं, प्रशिक्षित स्टाफ, शिकायत रजिस्टर, आदि – इन सबका सैफई फूड प्लाज़ा पर घोर अभाव नजर आया। यात्रियों को शिकायत रजिस्टर के बारे में कोई जानकारी नहीं थी और स्टाफ ने भी इसकी जानकारी होने से इनकार किया।
यात्रियों की पीड़ा: “परिवार को बाहर ही रोकना पड़ा”
लखनऊ निवासी शैलेन्द्र कुमार ने बताया, “शौचालय की हालत इतनी खराब थी कि परिवार को बाहर ही रोकना पड़ा।” वहीं सुमन देवी ने कहा, “खाने की कीमत तो ज्यादा ली गई लेकिन स्वाद और गुणवत्ता दोनों ही बेहद खराब थे।”
प्रशासन का दावा और हकीकत में फर्क
बीपी सिंह (सीनियर मैनेजर – डेवलपमेंट एंड ऑपरेशन मेंटेनेंस, यूपीडा) ने दावा किया कि “शिकायत रजिस्टर फूड प्लाज़ा पर हमेशा मौजूद रहता है, एसी चालू रहते हैं और सफाई नियमित कराई जाती है। ड्रेस कोड का पालन न करने वालों को चेतावनी दी जाएगी।”
सवालों के घेरे में यूपीडा की निगरानी व्यवस्था
इस पूरे मामले ने यूपीडा की निगरानी और जवाबदेही को कटघरे में खड़ा कर दिया है। अगर समय रहते व्यवस्था नहीं सुधारी गई, तो यात्रियों का भरोसा टूटेगा और सरकार की मंशा पर भी सवाल खड़े होंगे।