नई दिल्ली में श्रीकांत वर्मा जयंती समारोह, 21 लाख रुपये के साहित्यिक सम्मान की घोषणा
नई दिल्ली, 18 सितम्बर 2025।
प्रसिद्ध कवि, पत्रकार और राजनेता श्रीकांत वर्मा की जयंती के अवसर पर आज प्रधानमंत्री संग्रहालय, तीन मूर्ति, नई दिल्ली में भव्य समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर उनके पुत्र डॉ. अभिषेक वर्मा (मुख्य राष्ट्रीय समन्वयक, शिवसेना–NDA गठबंधन एवं चुनाव प्रबंधक) ने घोषणा की कि आने वाले प्रत्येक वर्ष 18 सितम्बर को श्रीकांत वर्मा ट्रस्ट की ओर से साहित्य, पत्रकारिता और कला के क्षेत्र में देश का सबसे बड़ा सम्मान प्रदान किया जाएगा।
इस सम्मान के तहत—
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साहित्य के क्षेत्र में “श्रीकांत वर्मा सम्मान” जिसकी राशि ₹21 लाख होगी।
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पत्रकारिता के लिए ₹5 लाख।
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प्रदर्शन कला एवं अन्य कला रूपों के लिए ₹2-2 लाख की सम्मान राशि दी जाएगी।
डॉ. वर्मा ने कहा कि ट्रस्ट समय-समय पर देशभर में साहित्यिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित करेगा ताकि नई प्रतिभाओं को मंच मिल सके और हिंदी साहित्य की गौरवशाली परंपरा आगे बढ़े।
समारोह के प्रमुख आकर्षण
समारोह के प्रथम सत्र में वरिष्ठ साहित्यकार अशोक वाजपेई, अशोक मिश्रा, इस्कॉन अध्यक्ष स्वामी मोहन रूपा दास, सतीश जायसवाल, रमेश अनुपम, संजय अलंग (IAS), पत्रकार राणा यशवंत और दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. दीपक कुमार ने श्रीकांत वर्मा के साहित्यिक योगदान पर अपने विचार व्यक्त किए।
द्वितीय सत्र में वरिष्ठ कवि अरुण देव, श्रद्धा सुनील समेत कई कवियों ने काव्य-पाठ कर दिवंगत कवि को श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्रीकांत वर्मा की विरासत
श्रीकांत वर्मा केवल कवि ही नहीं, बल्कि एक विचारक और जनप्रतिनिधि भी रहे। उनकी चर्चित कृतियाँ ‘मगध’, ‘दिनारम्भ’, ‘जलसाघर’ सहित कई काव्य-संग्रह हिंदी साहित्य को नई पहचान देने वाले रहे। उन्हें साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। भारतीय संसद में भी उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई और हिंदी भाषा एवं संस्कृति को राष्ट्रीय विमर्श का हिस्सा बनाने में योगदान दिया।
उनकी साहित्यिक और राजनीतिक विरासत को उनकी पत्नी, स्व. श्रीमती वीणा वर्मा (तीन बार राज्यसभा सदस्य एवं हिंदी राजभाषा समिति की अध्यक्ष) ने आगे बढ़ाया। आज इस परंपरा को उनकी पोती निकोल वर्मा और नवजात पौत्र युवराज आदितेश्वर वर्मा भी संकल्पपूर्वक आगे ले जाने का संकल्प कर रहे हैं।
श्रीकांत वर्मा ट्रस्ट इस पीढ़ी-दर-पीढ़ी चल रही परंपरा और मूल्यों का प्रतीक है, जो साहित्य, संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना की धरोहर को जीवित रखेगा।