राजनीती

आखिर छलक ही पड़ा शिवपाल का दर्द : कहा-मैंने पार्टी कुर्बान की, मिली एक सीट

  • इटावा में कार्यकर्ताओं से बोले-अखिलेश से 65 सीट मांगी तो कहा ज्यादा है, 35 पर भी नहीं माने

इटावा, यूपी की आवाज।
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल यादव सपा के सिंबल पर इटावा की जसवंतनगर सीट से विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। एक कार्यक्रम में भतीजे अखिलेश के साथ गठबंधन में सिर्फ एक सीट मिलने का दर्द उनकी जुबान से बाहर आ गया। शिवपाल ने कहा, ‘आप तो देख ही रहे हैं, पार्टी का बलिदान कर दिया। नहीं तो प्रसपा अपने दम पर पूरे प्रदेश में चुनाव लडऩे की तैयारी कर चुकी थी। वह तो 100 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा भी कर चुके थे। मगर, भाजपा को हराने के लिए गठबंधन स्वीकार किया।


अखिलेश से शुरू में 65 सीटें मांगीं, तो कहा गया कि ज्यादा हैं। फिर हमने 45 सीटें प्रसपा के लिए मांगी, मगर तब भी कहा गया कि ज्यादा है। आखिर 35 सीटों का प्रस्ताव दिया। मगर, आपको तो पता ही है कि मिली कितनी? सिर्फ एक। अब सारी सीटों की कसर इसी सीट पर जीत का रिकॉर्ड बनाकर पूरी करनी है। कम से कम 50 तो मिलनी ही चाहिए थी’।
शिवपाल ने यह बयान जसवंतनगर क्षेत्र के मलाजनी ढाबे पर दिया। हालांकि यह कार्यक्रम चुनावी नहीं था, लेकिन फिर भी उनके बयान का वीडियो सामने आ गया। यह पहली बार है जब शिवपाल ने खुलकर अपनी बात सार्वजनिक की है।
भतीजे अखिलेश के साथ गठबंधन में सिर्फ एक सीट मिलने का दर्द उनके चाचा और प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव आखिर दबा कर नहीं रख पाए। भतीजे अखिलेश के साथ गठबंधन में सिर्फ एक सीट मिलने का दर्द उनके चाचा और प्रसपा अध्यक्ष शिवपाल यादव आखिर दबा कर नहीं रख पाए।
कार्यक्रम में उन्होंने अपने समर्थकों से यूपी में सबसे बड़ी ऐतिहासिक जीत दिलाने का आह्वान किया। कहा, ‘अखिलेश यादव को ष्टरू बनाने के लिए हमने अपनी पार्टी का बलिदान कर दिया, जबकि एक वर्ष पूर्व हमने सौ टिकिटों की घोषणा कर दी थी, सामाजिक परिवर्तन रथ यात्रा भी निकाली। जनता का अपार प्यार मुझे मिला। इसलिए अब हमारी अपील है कि जसवंतनगर विधानसभा से इतनी बड़ी जीत करवा देना, जिससे हमारा बलिदान बेकार न जाए। करहल में सबसे बड़ी जीत होगी या जसवंतनगर में, इसका मुकाबला है।
हालांकि मीडिया से बातचीत में शिवपाल ने कहा कि भतीजे के प्रचार के लिए हम करहल भी जाएंगे। वहीं उनके करीबी पूर्व सांसद रघुराज सिंह के भाजपा जॉइन करने के सवाल पर कहा कि टिकट न मिलने से नाराज होंगे इसलिए छोड़ गए।
प्रसपा ने समाजवादी पार्टी से गठबंधन कर तो लिया है, लेकिन शिवपाल यादव इससे संतुष्ट नहीं हैं। वे अपने बेटे को भी चुनाव लड़ाना चाहते थे, लेकिन उसे भी टिकट नहीं मिला। अंदरखाने नाराज चाचा ने इस कारण खुद को चुनाव से ही दूर कर लिया। वे खुद भी समाजवादी पार्टी के चुनाव चिह्न पर ही जसवंतनगर से चुनाव लड़ रहे हैं और सिर्फ इसी सीट पर सिमटकर रह गए। चुनाव में जसवंतनगर से बाहर नहीं निकले हैं। यहां तक कि करहल में दिखाई नहीं दे रहे जबकि यह सीट इनसे लगते हुए ही है।
शिवपाल यादव ने 28 जनवरी को जसवंत नगर से नामांकन दाखिल किया था। इसके बाद अखिलेश यादव ने 31 जनवरी को नामांकन भरा। लेकिन शिवपाल तब भी करहल नहीं पहुंचे। इलाके में शिवपाल की अखिलेश से इस दूरी को लेकर खासी चर्चा है।
पहले चरण का प्रचार मंगलवार शाम थम जाएगा। इस चरण में अब तक एक भी जगह अखिलेश के मंच पर कहीं शिवपाल नहीं पहुंचे। यहां तक कि वे अपने प्रभाव वाली सीटों पर भी प्रचार नहीं कर रहे। अखिलेश इस बीच दो बार सैफई भी आ चुके, लेकिन वहां भी दोनों एक साथ नहीं दिखे।

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