उत्तर प्रदेश राजनीती

हर दल के दिल में बसे दलित

  • बीजेपी का खास फोकस ,घोसी के चुनाव में मिली शिकस्त से हुई अलर्ट
  • दलितों को जोड़ने के लिए लगाये गए इस समुदाय के लीड़र,होंगे दलित सम्मेलन
  • विधान परिषद और संगठन में कम है हिस्सेदारी
यूपी की आवाज

लखनऊ। दलित वोट बैंक अब किसी खास का नही रहा। बिखरे दलित वोट अपना मत जिधर देंगे,बल्ले बल्ले होगी। यह बात घोसी के उपचुनाव में सबने देखा है। मिशन फतह 2024 खातिर हर दल के दिल मे दलित बसे हैं। बीजेपी को खामियाजा भुगतना पड़ा है।
समाजवादी पार्टी के खाते में बावजूद बीजेपी की कड़ी मशक्कत चली गई।

2024 का पार्लियामेंट इलेक्शन बहुत ही रोमांचक होने वाला है क्योंकि इस बार इलेक्शन एनडीए बनाम इंडिया होने के आसार प्रबल हो गए हैं। बीजेपी ऐसी पार्टी है जो हर कदम नाप तौल कर ही आगे बढ़ाती है। यह बात और है कि कुछ पार्टी लीडर बड़े बड़े दावे करने में अग्रणी रहते हैं। कहते हैं कि सभी 80 सीटों पर बीजेपी जीतेगी। दावे को मूर्तरूप देने के लिए मशक्कत तो करनी पड़ती है। पार्टी हाईकमान कोई रिस्क लेने के मूड में नही है। पार्टी लोकसभा चुनाव से पहले क्षेत्रवार दलित जातियों को जोड़ने का अभियान चलाएगी। पहले चरण में अक्तूबर में छह संगठनात्मक क्षेत्रों में अनुसूचित जाति सम्मेलन होंगे। प्रदेश में लोकसभा की 17 सीटें आरक्षित हैं।

इनमें से नगीना व लालगंज बसपा के पास हैं।बुलंदशहर, हाथरस, आगरा, शाहजहांपुर, हरदोई, मिश्रिख, मोहनलालगंज, इटावा, जालौन, कौशांबी, बाराबंकी, बहराइच, बासगांव, मछलीशहर और राबर्ट्सगंज भाजपा गठबंधन के पास है। विधानसभा चुनाव 2022 में भाजपा गठबंधन ने अनुसूचित जाति के 86 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। आरक्षित से ज्यादा सीटों पर दलितों को मौका दिया। इनमें 63 उम्मीदवार चुनाव जीते थे। पार्टी मानती है कि लोकसभा चुनाव में यूपी की सभी 80 सीटें जीतने का लक्ष्य दलित वर्ग के 50 फीसदी वोट प्राप्त किए बिना मुश्किल है। बिहार में जातीय जनगणना की रिपोर्ट आने के बाद पार्टी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर दलितों के बीच जनाधार बढ़ाने के लिए मिशन मोड पर है। अवध, काशी, गोरखपुर, कानपुर-बुंदेलखंड, पश्चिम और ब्रज क्षेत्र में करीब एक-एक लाख दलितों के सम्मेलन होंगे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी कल बुधवार को वाराणसी में काशी क्षेत्र की और महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह हापुड़ में पश्चिम क्षेत्र की बैठक कर चुके हैं। पार्टी का खास जोर बसपा के जाटव वोट बैंक में सेंध लगाने पर रहेगा। पार्टी के जाटव नेताओं व मंत्रियों को कमान सौंपी गई है। पश्चिम क्षेत्र में जाटव, धोबी और खटीक समाज को जोड़ने पर जोर रहेगा। अवध में पासी और कोरी समाज के घर-घर दस्तक देंगे। बुंदेलखंड में कोरी व धोबी और पूर्वांचल में सोनकर, पासवान, पासी व जाटव समाज के लिए रणनीति है। योगी सरकार के दलित मंत्रियों और पार्टी के अनुसूचित जाति वर्ग से जुड़े पदाधिकारियों की जिम्मेदारी बढ़ी है। मंत्री व पदाधिकारी को उनकी जाति से जुड़े क्षेत्रों में लोगों को जोड़ने का जिम्मा सौंपा गया है। भाजपा दलित वर्ग को साधने का प्रयास कर रही है लेकिन प्रदेश में अनुसूचित जाति आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों का पद लंबे समय से खाली है। इसके कारण एससी से जुड़े मामलों की सुनवाई में विलंब हो रहा है। विधान परिषद में भाजपा के 81 सदस्यों में चार विद्यासागर सोनकर, निर्मला पासवान, सुरेंद्र चौधरी और लालजी निर्मल दलित वर्ग से हैं। संगठन में भी 98 संगठनात्मक जिलों में से महज पांच में दलित जिलाध्यक्ष हैं।
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