ऑपरेशन सिंदूर: आतंकियों पर प्रहार में गोविंद मोहन की रही अहम भूमिका
लखनऊ | पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने आतंक के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की। पाकिस्तान स्थित आतंकी ठिकानों को निशाना बनाने वाले इस ऑपरेशन को सफल बनाने में तीन वरिष्ठ IAS अधिकारियों की भूमिका को विशेष रूप से सराहा जा रहा है। इनमें उत्तर प्रदेश से संबंध रखने वाले केंद्रीय गृह सचिव गोविंद मोहन का नाम प्रमुखता से सामने आया है।
7 मई की रात शुरू हुए इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान में सक्रिय आतंकी संगठनों के कई ठिकानों को ध्वस्त किया। इसके बाद पाकिस्तान की ओर से जवाबी हमले शुरू हुए, जिससे क्षेत्र में तनाव और अधिक बढ़ गया। इस संवेदनशील स्थिति में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं मोर्चा संभाला और उच्च स्तरीय बैठकों का सिलसिला शुरू हुआ।
8 मई को जब गृह मंत्री अमित शाह सर्वदलीय बैठक में भाग ले रहे थे, प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और गृह सचिव गोविंद मोहन के साथ लगातार समीक्षा बैठकें कीं। गोविंद मोहन ने सुरक्षा बलों की तैनाती, सीमा स्थिति और रणनीतिक कार्रवाइयों की जमीनी जानकारी प्रधानमंत्री तक पहुंचाई।
गोविंद मोहन को गृह मंत्रालय में सीआरपीएफ, बीएसएफ और सभी केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के संचालन का जिम्मा है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उनकी योजनात्मक दक्षता, सूचनाओं की त्वरित आपूर्ति और समन्वय क्षमता ने अभियान को दिशा देने में निर्णायक भूमिका निभाई।
कौन हैं गोविंद मोहन?
लखनऊ के मूल निवासी गोविंद मोहन ने 1982 में सेंट फ्रांसिस कॉलेज से स्कूली शिक्षा प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने बीएचयू-आईआईटी वाराणसी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक और आईआईएम अहमदाबाद से प्रबंधन में स्नातकोत्तर (1986–88) किया। उनके पिता उत्तर प्रदेश सरकार के PWD विभाग में चीफ इंजीनियर रह चुके हैं।
गोविंद मोहन 1989 बैच के सिक्किम कैडर के अधिकारी हैं और 2017 से केंद्र सरकार में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत हैं। वे संस्कृति मंत्रालय के सचिव पद से प्रमोशन पाकर वर्तमान में केंद्रीय गृह सचिव के रूप में सेवा दे रहे हैं। उनके शांत, संतुलित और परिणामोन्मुखी कार्यशैली के कारण उन्हें प्रशासनिक सेवा में एक कुशल और भरोसेमंद अफसर माना जाता है।
निष्कर्ष:
ऑपरेशन सिंदूर केवल एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि एक रणनीतिक और प्रशासनिक संगठित उत्तर था, जिसमें भारत सरकार के वरिष्ठ नौकरशाहों ने निर्णायक योगदान दिया। गोविंद मोहन जैसे अधिकारियों की कुशल योजना और संचालन ने यह सुनिश्चित किया कि भारत का जवाब न केवल सशक्त हो, बल्कि सीमाओं की सुरक्षा और अंतरराष्ट्रीय छवि दोनों को संतुलित रखे।
Source- Online
(सहसंपादक)
संदीप पटेल SPTM












