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इसरो के पूर्व सलाहकार का दावा, थोड़ी-बहुत रफ लैंडिंग झेल लेगा चंद्रयान-3, प्लान बी भी तैयार है

यूपी की आवाज

नई दिल्ली। चंद्रयान-3 की लैंडिंग को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के पूर्व सलाहकार डॉ. सुरेन्द्र पाल ने कहा कि विक्रम लैंडर थोड़ी बहुत रफ लैंडिंग को झेल सकता है। इसरो ने इस बार चंद्रमा पर विक्रम लैंडर की लैंडिंग की पूरी तैयारी की है। इसरो के वैज्ञानिक इस बार अनुभव के आधार पर आत्मविश्वास से भरे हुए हैं। अगर 23 अगस्त को सब कुछ योजना के मुताबिक न भी रहा तो भी इसरो ने लैंडिंग की तारीख 27 अगस्त तक टालने का प्लान बी भी तैयार कर रखा है।

डॉ. सुरेन्द्र पाल ने बताया कि चंद्रमा पर लैंडिंग के लिए 2 से 5 किलोमीटर का एरिया देखा जा रहा है। चूंकि चांद के दक्षिणी ध्रुव में काफी बड़े बड़े क्रेटर है, इसलिए लैंडिंग के लिए कुछ समतल सतह की तलाश की जा रही है। विक्रम लैंडर के पैर इतने मजबूत हैं कि वो कुछ रफ लैंडिंग भी झेल सकता है।

कैसे नियंत्रित होगी चंद्रयान की गति?

विक्रम लैंडर 25 किलोमीटर की ऊंचाई से चांद पर उतरने की यात्रा शुरू करेगा। अगले स्टेज तक पहुंचने में उसे करीब 11.5 मिनट लगेंगे। यानी 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई तक। 7.4 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंचने तक इसकी गति 358 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी। अगला पड़ाव 6.8 किलोमीटर होगा। 6.8 किलोमीटर की ऊंचाई पर गति कम करके 336 मीटर प्रति सेकेंड हो जाएगी। अगला लेवल 800 मीटर होगा। 800 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर के सेंसर्स चांद की सतह पर लेजर किरणें डालकर लैंडिंग के लिए सही जगह खोजेंगे। 150 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की गति 60 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी। यानी 800 से 150 मीटर की ऊंचाई के बीच। 60 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 40 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी। यानी 150 से 60 मीटर की ऊंचाई के बीच। 10 मीटर की ऊंचाई पर लैंडर की स्पीड 10 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी। चंद्रमा की सतह पर उतरते समय यानी सॉफ्ट लैंडिंग के लिए लैंडर की स्पीड 1.68 मीटर प्रति सेकेंड रहेगी।

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