भारत में पहली डिजिटल और जातिगत जनगणना 2027 से शुरू, 96 साल बाद आएंगे जाति आधारित आंकड़े
नई दिल्ली।
देश में जनगणना को लेकर एक बड़ा और ऐतिहासिक फैसला सामने आया है। केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि वर्ष 2027 से भारत में पहली डिजिटल जनगणना शुरू की जाएगी, जिसमें 96 साल बाद पहली बार जाति आधारित आंकड़े भी जुटाए जाएंगे। यह ऐलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक के बाद किया गया।
गृह मंत्रालय के अनुसार, यह जनगणना दो चरणों में की जाएगी। पहाड़ी और बर्फबारी प्रभावित राज्यों — जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड — में 1 अक्टूबर 2026 से जनगणना शुरू होगी, जबकि शेष देश में 1 मार्च 2027 से यह प्रक्रिया प्रारंभ होगी।
जनगणना 2027: पहली बार डिजिटल फॉर्मेट में
जनगणना 2027 भारत की पहली डिजिटल जनगणना होगी, जिसमें नागरिक ऑनलाइन माध्यम से स्वयं अपनी जानकारी दर्ज कर सकेंगे। इसके अलावा मकानों की गणना यानी सूचीकरण का कार्य अप्रैल 2026 से शुरू हो सकता है। इस जनगणना के लिए लगभग 30 लाख गणनाकर्मी और पर्यवेक्षक नियुक्त किए जाएंगे, जिन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा।
जनगणना प्रक्रिया पर 13,000 करोड़ रुपये से अधिक खर्च होने का अनुमान है।
96 साल बाद आएंगे जातिगत आंकड़े
भारत में 1931 में आखिरी बार जाति आधारित जनगणना के विस्तृत आंकड़े प्रकाशित किए गए थे। 1941 की जनगणना में भी आंकड़े जुटाए गए थे लेकिन सार्वजनिक नहीं किए गए। आजादी के बाद से अब तक केवल अनुसूचित जाति और जनजातियों के आंकड़े ही प्रकाशित होते रहे हैं।
2027 की जनगणना में सभी जातियों के डेटा इकट्ठा किए जाएंगे, जिससे देश की सामाजिक संरचना की व्यापक समझ बन सकेगी और नीतियों के निर्माण में मदद मिलेगी।
पूछे जाएंगे ये अहम सवाल
जनगणना के दौरान नागरिकों से उनके रहन-सहन, सुविधाएं, शिक्षा, खाद्य सामग्री, ईंधन, जल स्रोत, छत-दीवार की गुणवत्ता, शौचालय की स्थिति आदि से जुड़े प्रश्न पूछे जाएंगे।
इसके साथ ही यह भी दर्ज किया जाएगा कि परिवार की मुखिया महिला है या पुरुष, और उनके पास रेडियो, टीवी, एलपीजी, पीएनजी जैसी सुविधाएं हैं या नहीं।
एनपीआर पर अब भी असमंजस
गृह मंत्रालय ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि इस जनगणना प्रक्रिया में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को अपडेट किया जाएगा या नहीं।
परिसीमन की दिशा में पहला कदम
यह जनगणना 2011 के बाद पहली जनगणना होगी और इसके बाद देश में नई जनसंख्या संरचना के आधार पर परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होगी। इसके ज़रिए निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाएं और प्रतिनिधित्व का स्वरूप नए सिरे से तय होगा।
महत्वपूर्ण बिंदु एक नजर में:
-
जनगणना 2027: पहली डिजिटल और जातिगत जनगणना
-
1931 के बाद पहली बार सभी जातियों का डाटा
-
पहाड़ी राज्यों में अक्टूबर 2026 से शुरू होगी प्रक्रिया
-
13,000 करोड़ रुपये से अधिक होगा खर्च
-
30 लाख से ज्यादा कर्मचारी होंगे शामिल
-
एनपीआर पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं
लेखक: संदीप पटेल SPTM
उपसंपादक | यूपी की आवाज
सूत्र – ऑनलाइन