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जज साहब मुझे मां बनना है

 

जज साहब मुझे मां बनना है जैसे ही एक पत्नी ने जज से कहा तो उन्होंने संस्कार को ध्यान में रखते हुए फैसले दिए जो अब चर्चा का विषय बन गया है।

जी हां यह कहानी है राजस्थान के जयपुर की। जहां एक महिला ने कोर्ट में याचिका दायर कर मां बनने की इच्छा जाहिर की। महिला ने याचिका में अपने पति को पैरोल पर कुछ दिनों के लिए छोड़ने का आग्रह किया तो जज साहब ने सही फैसला सुनाया।

दरअसल, महिला मां बनने के लिए किस कदर बेताब थी। आप इस बात से समझ सकते हैं कि महीला ने सभी जेल अफसरों मिली थी और उन्हें अपनी मां बनने की इच्छा भी  बताई थीं। लेकिन जेल अफसरों ने महिला की एक न सुनी। इसके बाद महीला कलेक्टर साहब के पास अपनी मां बनने की इच्छा लेकर गई। लेकिन वहां उसकी बात को गंभतीरता से नहीं लिया गया और उसका मामला अटका दिया गया। इससे महीला परेशान हो गई और थक हारकर उच्च न्यायालय जा पहुंची।

इससे पहले महिला कलेक्टर से भी गुहार लगा चुकी थी। उसने वहां भी कलेक्टर साहब से मां बनने की चाहत बताई और उसके पति को कुछ दिनों के लिए जेल से छोड़ने को कहा। लेकिन कलेक्टर में महीला की कोई सुनवाई नहीं हुई।

इसके बाद महीला उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। जहां उच्च न्यायालय ने महीला के पति को 15 दिनों की पैरोल पर रिहा कर दिया। इससे पहले आरोपी कैदी लगभग 11 महीने पहले 20 दिनों की पैरोल पर बाहर गया था।

यह सब मामला भीलवाड़ा जिले के रबारियों की ढाढी का हैं। यह महीला के पति नंदलाल गृह निवास है। महीला का नन्दलाल को 6 फरवरी, 2019 से अजमेर जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है। महीला की नन्दलाल से शादी उसको सजा मिलने से पहले ही हो गई थी। किंतू जब पति को सजा हुई और वह जेल भेज दिया गया। तब महीला के पास मां बनने के लिए समय ही नहीं मिल सका। हालाकि पिछले साल कोरोना के कारण नन्दलाल को 20 दिनों की पैरोल मिली थी। लेकिन कोविड 19 के चलते पत्नी अपने माता पिता के घर पर थी। जिससे पति और पत्नी को एक दूसरे से मिलने का समय ही नहीं मिल सका।

जज साहब ने अपने निर्णय सुनाते हुए कहा कि वैसे इस मामले के लिए कोई अलग से प्रावधान नहीं है। लेकिन भारत की संस्कृति में एक महीला को ‘मां’ बनने का मूलभूत अधिकार है। इसीलिए महीला के पति को 15 दिनों की पैरोल पर जेल से रिहा किया जाता है। ताकि आरोपी की पत्नि मां बनने की इच्छा पूरी कर सकें। हिंदू धर्म के अनुसार, महीला का गर्भधारण करना 16 संस्कारों में से एक माना जाता है।

 

 

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