यूपी की आवाज
लखनऊ। लोकसभा और विधानसभाओं में महिला आरक्षण के लिए लोकसभा में पेश किये गये नारी शक्ति वंदन बिल से सबसे ज्यादा नुकसान क्षेत्रीय पार्टियों का होगा, जबकि कांग्रेस और भाजपा इससे फायदे में रहेगी। यही कारण रहा है कि हर वक्त समाजवादी पार्टी इसका विरोध करती रही है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी व्यक्ति विशेष पर आधारित हैं। इस कारण इनमें महिला चर्चित चेहरों का अभाव है। ऐसे में इनको उपयुक्त उम्मीदवार मिलना भी मुश्किल हो जाएगा।
हालांकि कोई पार्टी इसके खिलाफ खुलकर बोलना नहीं चाहती। सिर्फ उसको किसी न किसी बहाने पास होने देना नहीं चाहते। यही कारण है कि यह बिल 25 सालों से अधर में लटका हुआ है। 20 दिसम्बर 1999 को मुलायम सिंह ने महिला आरक्षण बिल पर कहा था, “यह पूरा का पूरा मुसलमानों, दलितों के खिलाफ षडयंत्र है। जहां तक बीजेपी और कांग्रेस का सवाल है हमने पहले ही कहा था कि दोनों एक हैं। महिला आरक्षण लागू करके दलित, पिछड़े और मुस्लिम समाज से आने वाले लोगों को वंचित किए जाने षडयंत्र किया जा रहा है। मुलायम सिंह यादव ने कहा कि बहुसंख्यक समाज की उपेक्षा बर्दाश्त नहीं कर सकते। आम सहमति हो तभी बिल पेश किया जाए।
इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार हर्ष वर्धन त्रिपाठी का कहना है कि इस बिल को पेश कर भाजपा ने ट्रंप कार्ड खेल दिया है। इससे निश्चय ही आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को फायदा होगा। चूंकि लोकसभा में समाजवादी पार्टी और बसपा जैसी पार्टियों की संख्या बहुत कम है। इस कारण अब बिल फाड़ने जैसा काम नहीं हो सकता और पूरी उम्मीद है कि यह पास हो जाएगा। इससे क्षेत्रीय पार्टियों पर भी महिलाओं को राजनीति में आगे बढ़ाना मजबूरी हो जाएगा।
राजनीतिक विश्लेषक राजीव रंजन का कहना है कि इस बिल से उप्र में समाजवादी पार्टी और बसपा की राजनीति पर असर अवश्य पड़ेगा, क्योंकि ये व्यक्ति विशेष की पार्टियां हैं। इनमें दूसरी चर्चित महिलाओं का अभाव है। यहां चूंकि कांग्रेस न के बराबर है। इस कारण यहां तो सर्वाधिक फायदा भाजपा को ही होने जा रहा है।