उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 36 सीटों में 33 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी ने फतह हासिल की है। एमएलसी बनते ही विधान परिषद को कितना वेतन और अन्य कितना भत्ता मिलता है यह हम बताने जा रहे हैं। सबसे बड़ी चीज यह कि एक एमएलसी सालाना खर्च के लिए 3 करोड़ रुपए रेकमेंड कर सकते हैं। एक वर्ष में तीन करोड़ का मतलब छह वर्ष में 18 करोड़ रुपये रिकमेंड करने का अधिकार विधान परिषद सदस्य को है।
एक एमएलसी 6 साल के लिए चुने जाते हैं। उन्हें वेतन तो 40 हजार रुपए ही मिलते हैं, लेकिन वे माननीय हैं इसलिए कई अन्य कई तरह की सुविधाओं का लाभ भी उन्हें मिलता है। इन्हें महीने में दो बार स्थायी पता से विधान परिषद की बैठक में आने का टी.ए. (यात्रा भत्ता) मिलता है। टी.ए.- 20 रुपए किमी. के हिसाब से दिया जाता है। डी.ए. (डेली एलाउन्स) – 2 हजार रुपए प्रतिदिन मिलता है। यानी डी.ए. 30 दिन का 60 हजार रुपए। उत्तर प्रदेश से बाहर जाने पर डी.ए. 2500 रुपए प्रतिदिन मिलता है। टूर से आने पर कमेटी हिसाब देती है और यह राशि मिलती है। इसके अलावा एक एमएलसी को 3 लाख रुपए रेल का कूपन एक साल में मिलता है। इसमें हवाई जहाज का टिकट या रेल का कूपन जो भी लेना चाहें 3 लाख के अंदर दिया जाता है। बिल पर भुगतान किया जाता है। इसे टेक्निकल भाषा में खर्च की प्रतिपूर्ति या रिम्बर्समेंट कहा जाता है।
1.5 लाख रुपए सालाना मोबाइल- टेलीफोन-इंटरनेट (संचार) के लिए मिलता है। जितनी बार जीतेंगे उतनी बार फर्नीचर के लिए 1.5 लाख रुपए मिलेंगे। मोबाइल-कंप्यूटर खरीदने के लिए 1 लाख रुपए मिलते हैं। इन्हें सरकार आवास की सुविधा लखनऊ में देती है। एक बार एमएलसी बन जाने के बाद वे जीवन भर पेंशन पाने के हकदार हो जाते हैं। साथ ही हेल्थ सुविधाओं सहित रेल कूपन जैसी सुविधाएं भी हमेशा मिलती रहती हैं। सत्र के दौरान वे सरकार से जनता से जुड़े सवाल भी उठा सकते हैं।
एक एमएलसी को जनता की सेवा करने का सबसे बड़ा मौका मिलता है कि उन्हें हर साल 3 करोड़ रुपए रेकमेंड करने का अधिकार है। अब मुख्यमंत्री क्षेत्रीय विकास योजना के तहत यह राशि खर्च होती है। इसे एमएलसी, डीडीसी को रेकमेंड करते हैं। 6 साल में 18 करोड़ रुपए वे रेकमेंड कर सकते हैं।