- भतीजे अखिलेश के न्योते पर भी नहीं चाचा शिवपाल
- महान दल ने कहा-हमें बैठक की जानकारी ही नहीं
लखनऊ, यूपी की आवाज।
जहाँ दूसरे दल हार से सबक लेकर संगठन को मजबूत करने पर बल देते हैं, वहीं सपा मुखिया अखिलेश यादव अपने संगठन में गाँठें पैदा कर रहे हैं। सपा गठबंधन में रार पैदा हो गयी है। चाचा भतीजे से खफा हैं और सपा के साथ चलने वाला महान दल अब सपा से दूरी बनाता हुआ दिखाई दे रहा है।
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव की अगुवाई में मंगलवार को पार्टी मुख्यालय पर गठबंधन दलों की बैठक हुई। बैठक में अखिलेश ने अपने चाचा शिवपाल यादव को भी बुलाया हालांकि शिवपाल लखनऊ नहीं पहुंचे। दिल्ली से सीधे वे इटावा पहुंचे। जहां दोपहर में उन्होंने भागवत कथा सुनी, फिर अपने करीबियों के साथ चर्चा की। बताया जा रहा कि 26 मार्च को समाजवादी पार्टी की बैठक में शिवपाल यादव को नहीं बुलाया गया था, इसी वजह से वह नाराज चल रहे हैं।
शिवपाल का कहना है कि उन्होंने सपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था, ऐसे में उन्हें इस बैठक में बुलाया जाना चाहिए था। अभी मुझे ज्यादा कुछ नहीं बोलना है। जब बोलूंगा तो आप लोगों को जरूर बुलाऊंगा।
बैठक में पहुंचे सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने शिवपाल यादव का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि आज मैं भी तो विधानसभा में मौजूद नहीं था। मजबूती से भाजपा का हम लोग सामना करेंगे। शिवपाल यादव नाराज नहीं हैं। पार्टी में भी कोई नाराजगी नहीं है।
यह हैं शिवपाल यादव की नाराजगी के 5 बड़े कारण
- नेता विरोधी दल का पद नहीं मिला
- विधायक दल की बैठक में नहीं बुलाया गया
- बेटे को टिकट नहीं मिला
- शिवपाल समर्थकों को टिकट नहीं मिला
- अखिलेश यादव के व्यवहार से नाराज
सूत्रों की मानें तो शिवपाल सिंह यादव जल्द ही अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी से दूरी बना सकते हैं। शिवपाल को उम्मीद थी कि सदन में नेता विरोधी दल का पद उन्हें ही मिलेगा। लेकिन अखिलेश ने पद खुद अपने पास रखा। शिवपाल सपा की तरफ आए उधर उनके समर्थक टिकट ना मिलने की वजह से शिवपाल से दूर हो गए। पूर्व मंत्री शारदा प्रताप शुक्ला जो शिवपाल के करीबियों में शुमार होते थे वह प्रसपा छोड़ भाजपा में चले गए। वहीं, कई नेता बसपा और कांग्रेस से टिकट लेकर चुनाव लड़े।
महान दल को न्योता नहीं, केशव देव बोले- हमें बैठक की जानकारी नहीं
उधर, महान दल को भी इस बैठक में नहीं बुलाया गया है। महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने बड़ा बयान दिया है। केशव ने कहा, सहयोगी दलों की बुलाई गई बैठक की हमें जानकारी नहीं है। हमें बैठक में बुलाया जाता तो मैं जरूर जाता। 2 सीट लेकर फिर भी हमने संतोष किया। हमने सपा अध्यक्ष से 8 सीटें मांगी थी। मुझे कुछ कहना होगा तो अखिलेश से सीधे कहूंगा।
आगे की रणनीति पर सहयोगी दलों के साथ होगी चर्चा
26 मार्च को होने वाली समाजवादी पार्टी की बैठक में शिवपाल विधायक के तौर पर आना चाहते थे, जबकि सपा उन्हें सपा विधायक के बजाय प्रसपा अध्यक्ष के तौर पर ज्यादा अहमियत दे रही है। इसलिए उन्हें सहयोगी दल में रखा है, लेकिन शिवपाल के तेवर बता रहे हैं कि अब वह बड़ा निर्णय कर सकते हैं।
समाजवादी पार्टी विधानमंडल दल की बैठक में न बुलाए जाने से नाराज होकर शिवपाल यादव रविवार को दिल्ली रवाना हुए। इससे पहले उन्होंने इटावा जाकर कुछ खास लोगों से मुलाकात की। इसके बाद अब शिवपाल यादव दिल्ली के लिए निकल पड़े हैं। वहीं उनके इस तरह से देश की राजधानी का रुख करने के बाद राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई है।
चुनाव परिणाम के बाद पहली बार होगी बैठक
विधानसभा चुनाव 2022 के परिणाम के बाद पहली बार अखिलेश यादव की अध्यक्षता में उनके सहयोगी दलों की बैठक होगी। इससे पहले 26 मार्च को समाजवादी पार्टी ने अपने 111 विधायकों के साथ बैठक की थी। 26 मार्च को ही राष्ट्रीय लोक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने अपने 8 जीते हुए विधायकों के साथ लखनऊ स्थित प्रदेश कार्यालय में बैठक की थी।