जौनपुर के भाजपा नेता ने कहा-
- असफलता मेरी सबसे बड़ी शिक्षक
- पिता से सीखा राजनीति का ककहरा
- जौनपुर में खत्म हो रहा है गुण्डों का दबदबा
यूपी की आवाज
जौनपुर।
1970 में एक हिन्दी फिल्म रिलीज हुई थी ‘पहचान।’ इस फिल्म मेें गीत की पंक्ति थी…‘मैं बसाना चाहता हूँ स्वर्ग धरती पर, आदमी जिसमें रहे बस आदमी बनकर।’ इन पंक्तियों को चरितार्थ किया है वरिष्ठ भाजपा नेता अमित प्रताप सिंह ने। 28 जुलाई 1985 को चन्द्रभान सिंह एवं श्रीमती मन्जू सिंह के आँगन में प्रथम किलकारी भरने वाले अमित प्रताप सिंह राजनीति में आए जरूर, लेकिन नेता बनने के लिए नहीं, सेवक बनने के लिए। जौनपुर की सदर तहसील के गाँव गोनापार की माटी में पले-बढ़े अमित प्रताप सिंह को आज भी गाँव की मिट्टी से दुलार है और वह कहते हैं जब तक गाँव सशक्त नहीं होंगे, तब तक देश सशक्त नहीं हो सकता। यूपी की आवाज के प्रधान सम्पादक अनूप गंगवार ने युवा भाजपा नेता से वार्ता की। प्रस्तुत हैं वार्ता के प्रमुख अंश..
यूपी की आवाज : कैसे आए राजनीति में?
अमित प्रताप सिंह : अनूप जी! कुछ शौक से और कुछ सेवा के जज्बे से। मेरे पिता श्री चन्द्रभान सिंह मेरे आदर्श हैं। मेरी माँ श्रीमती मंजू सिंह साधारण गृहणी रहीं। पिताश्री कांग्रेस के नेता थे। घर पर सुबह से देखता था, लोग फरियाद लेकर आते थे, मदद मांगने आते थे। पिताजी किसी को खाली हाथ लौटाते थे। मदद मिलने के बाद लोगों की आँखों में जो खुशी होती थी, वह मुझे बहुत आकर्षित करती थी। सच पूछिए यह खुशी ही मुझे राजनीति में खींच लाई। बचपन में मैं जिस लायक था, लोगों की मदद करता था, बड़ा होता गया सहायता का दायरा भी बढ़ता गया। पिताश्री दिल से नहीं चाहते थे, मैं राजनीति में आऊँ, लेकिन उन्होंने जब देखा मैं राजनीति को सेवानीति समझकर चल रहा हूँ, तो वे मेरे राजनैतिक गुरु बन गए। सच कहूँ तो राजनीति का ककहरा पिताश्री से ही सीखा।
यूपी की आवाज : जौनपुर बाहुबलियों का गढ़ रहा है और यहाँ भय का साम्राज्य चलता रहा। आपको डर नहीं लगा?
अमित प्रताप सिंह : देखिए! मैं केवल भगवान से डरता हूँ। पुरानी सरकारें गयीं और जैसे ही हमारे आदर्श योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री की कुर्सी सम्भाली, बाहुबलियों की उल्टी गिनती शुरू हो गयी। अहंकार और जुल्म ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकते। जब ज्यादा बढ़ते हैं तो भगवान खुद प्रकट होकर इनका खात्मा कर देते हैं। यूपी में भी बाबा जी के रूप में भगवान प्रकट हो गये और आतंक का विनाश हो गया। अतीक अहमद जैसे बाहुबली अब इतिहास बन गए हैं।
यूपी की आवाज : आपने चुनाव लड़ा कभी?
अमित प्रताप सिंह : जी हाँ। मैंने जौनपुर से विधानसभा चुनाव राष्ट्रीय लोकमंच जो स्व.अमर सिंह जी की पार्टी थी, से लड़ा था। मुझे यहाँ कांग्रेस उम्मीदवार से ज्यादा वोट मिले थे।
यूपी की आवाज : कोरोना काल में बुलन्दशहर में आपने लोगों की दिल खोलकर मदद की थी, जबकि आपका कार्यक्षेत्र जौनपुर है। वहाँ मदद करके आपको राजनैतिक रूप से कोई लाभ नहीं हुआ। ऐसा क्यों…?
अमित प्रताप सिंह : सेवा अगर स्वार्थ के लिए की जाए तो फिर वह सेवा कहाँ रह गयी अनूप जी। मैंने कभी राजनीति स्वार्थ अथवा दुकान चलाने के लिए नहीं की। कोरोना काल की याद आज भी आती है तो दिल सहम जाता है। बुलन्दशहर के सिकन्दराबाद में मेरा कारखाना है। कोरोना काल में उसमें ताले लग गए। उस समय के जिलाधिकारी रविन्द्र कुमार और अपर जिलाधिकारी प्रशासन रवीन्द्र कुमार ने मुझसे कहा, मैं पीडि़तों के लिए कुछ करूँ। मैंने उनसे कहा मैं पहले ही लोगों की सहायता के लिए हर सम्भव प्रयास कर रहा हूँ। कोरोना चलने तक मैंने लंगर शुरू करा दिया। एक दर्जन वाहनों की व्यवस्था की, जिनसे अपने कारखाने के लोगों तथा अन्य लोगों को घर भिजवाया। सैनीटाइजर तथा मास्क वितरित कराए। मैंने सेवा कभी भी यह सोचकर नहीं की कि मैं इसका राजनैतिक लाभ कमाऊँ। जौनपुर में तो पहले ही कम्बल वितरण, भण्डारा आदि के कार्यक्रम चलते ही रहते हैं। गरीबों की कन्याओं की मदद भी करता रहता हूँ। राजनीति मेरा व्यवसाय न था और न आगे रहेगा, चाहे मैं जनप्रतिनिधि बनूँ या न बनूँ।
यूपी की आवाज : अब आप भाजपा में है, क्यों?
अमित प्रताप सिंह : ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास…’ यह मेरा प्रिय नारा है। दूसरा दल कहाँ इस विचारधारा पर चलता है। सपा परिवार का विकास करती है और गुण्डागर्दी को प्रश्रय देती है। बसपा में तानाशाही जगजाहिर है। कांग्रेस गांधी परिवार की गुलाम हो गयी है। भाजपा में छोटे से छोटे कार्यकर्ता का सम्मान है। यूपी को खौफमुक्त बनाने के लिए योगी जी ने सर्वस्व झोंक दिया है। यही कारण है, भाजपा में हूँ और इसी में रहूँगा।
यूपी की आवाज : 2021 के विधानसभा चुनाव में आपने टिकट नहीं मांगी क्या?
अमित प्रताप सिंह : आवेदन किया था। पार्टी ने पूर्व सांसद केपी सिंह जी को टिकट दिया। मैंने चुनाव में खूब परिश्रम किया। हालाँकि नतीजा हमारे पक्ष में नहीं गया। सपा के लकी यादव यहाँ से विधायक बने।
यूपी की आवाज : 2024 में क्या समीकरण है?
अमित प्रताप सिंह : पार्टी ने अभी प्रत्याशी तय नहीं किया है। पूर्व विधायक हरेन्द्र प्रताप सिंह तथा पूर्व सांसद केपी सिंह टिकट के दावेदार हैं। पार्टी जिसे भी टिकट देगी, दमदारी से लड़ाया जाएगा और इस बार जीत हमारी ही होगी।
यूपी की आवाज : क्या 2024 में केन्द्र में तीसरी बार भाजपा सरकार बनाएगी?
अमित प्रताप सिंह : ‘श्योर।’ पहले से ज्यादा सीटें जीतकर मोदी जी तीसरी बार प्रधानमंत्री बनेंगे।
यूपी की आवाज : विपक्ष एकजुट है, फिर भी आप कह रहे हैं मोदी जी पीएम बनेंगे?
अमित प्रताप सिंह : बिल्कुल। प्रधानमंत्री मोदी ने मजबूत इण्डिया बनाया है। विपक्ष बिखरा हुआ ‘इण्डिया’ है, मजबूत इण्डिया के आगे यह टिकने वाला नहीं है। 70 सालों से इण्डिया को कमजोर करने वाले आज ‘इण्डिया’ गठबंधन बना रहे हैं। पब्लिक सब जानती है।
यूपी की आवाज : आपका आदर्श नेता कौन है?
अमित प्रताप सिंह : जी योगी आदित्यनाथ। भविष्य के प्रधानमंत्री हैं वो।
यूपी की आवाज : आपकी पत्नी भी राजनीति में सहायता करती हैं?
अमित प्रताप सिंह : मेरी पत्नी कुसुम शिक्षित गृहणी हैं। एक बेटा देहरादून के दून कॉलेज में पढ़ रहा है, बेटी डीपीएस गाजियाबाद में स्टूडेंट है। मैं राजनीति में पत्नी को इन्वॉल्व नहीं करता। यह मेरा शौक है और मैं ही इसमें इन्वॉल्व रहता हूँ। बच्चों को भी खुली छूट है, वो जो बनना चाहें, वो बनें। नेता बनना, अफसर बनना, वैज्ञानिक बनना सब उनकी च्वाइस पर निर्भर है।
यूपी की आवाज : आपकी कोई राजनैतिक महात्वाकांक्षा है कोई?
अमित प्रताप सिंह :
‘कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन… ‘ गीता में भगवान कृष्ण का यही सन्देश है। मेरा धर्म है कर्म करना और मैं उसे पूरी शिद्दत के साथ करता हूँ। पार्टी को अमित प्रताप सिंह में कुछ खास दिखेगा, सेवा का जज्बा दिखेगा तो अपने आप टिकट देगी। हाँ टिकट मांगने का मेरा धर्म है, मैं आवेदन करता रहूंगा। जनप्रतिनिधि इसलिए बनना चाहता हूँ ताकि हाथ और मजबूत हों, सेवा का दायरा और बड़ा हो सके।
यूपी की आवाज : क्या सन्देश देना चाहेंगे हमारे पाठकों को?
अमित प्रताप सिंह : सकारात्मक सोच के साथ अपना काम करते रहिए। मनुष्य का शरीर मिला है तो जो जितना सम्भव हो सके, दूसरों की मदद करे। यदि हर सक्षम व्यक्ति कमजोर का हाथ थाम ले, तो फिर भारत में गरीबी खत्म हो जाएगी। जो युवा राजनीति में आना चाहते हैं, जरूर आएं, लेकिन सकारात्मक सोच के साथ और यह सोचकर हमें समर्थ होने पर सेवा करनी है। देश को अच्छे नेताओं की आवश्यकता है।