उत्तर प्रदेश

ऑनलाइन अटेंडेंस पर यूपी के शिक्षकों का फूटा गुस्सा, 31 जुलाई के बाद आंदोलन तय

5480 सरकारी स्कूलों में ऑनलाइन हाजिरी से बढ़ा बवाल: गुरुजी बोले- “टेक्नोलॉजी ठीक हो तभी आदेश चले”, चेतावनी में उबला शिक्षक वर्ग

लखनऊ। यूपी की आवाज़ | विशेष रिपोर्ट
उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा 1 जुलाई 2025 से प्रदेश के 5480 सहायता प्राप्त विद्यालयों में शिक्षकों और छात्रों की ऑनलाइन हाजिरी अनिवार्य कर दी गई है। लेकिन अब यह व्यवस्था शिक्षकों के लिए मुसीबत बनती जा रही है। सर्वर की खराबी, तकनीकी दिक्कतें और इंटरनेट की धीमी गति ने इस पहल को ‘तुगलकी फरमान’ बना डाला है।

 शिक्षकों की परेशानी: “घंटों इंतजार के बाद भी पोर्टल नहीं खुलता”

अमीनाबाद इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य एस.एल. मिश्रा ने बताया कि छात्र संख्या 1500 से अधिक है। उपस्थिति दर्ज करने के लिए चार शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है, फिर भी हर दिन की उपस्थिति समय पर दर्ज नहीं हो पा रही। कारण स्पष्ट है—पोर्टल का बार-बार क्रैश होना और छात्रों के नाम डेटा से गायब होना।

बाबू त्रिलोकी सिंह इंटर कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. आर.के. सिंह ने कहा,

“सरकार की मंशा अच्छी हो सकती है, पर बिना तैयारी के लागू करना नुकसानदेह है। सेक्शन वाइज अटेंडेंस में गड़बड़ियां हैं, बच्चों के नाम और पिता के नाम में भिन्नता है।”

 तकनीकी खामियों से बाधित प्रक्रिया

  • पोर्टल स्लो है, ग्रामीण स्कूलों में इंटरनेट कनेक्टिविटी कमजोर है।

  • सर्वर बार-बार डाउन होता है, जिससे पूरा दिन बीतने के बावजूद उपस्थिति दर्ज नहीं हो पाती।

  • कई छात्रों का नाम ही पोर्टल पर नहीं दिख रहा।

 शिक्षक संघ की चेतावनी: “31 जुलाई तक समाधान नहीं तो आंदोलन”

माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रांतीय अध्यक्ष डॉ. आर.पी. मिश्रा ने स्पष्ट चेतावनी दी है कि यदि 31 जुलाई तक पोर्टल की दिक्कतों को दूर नहीं किया गया और एक समुचित डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार नहीं हुआ, तो राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ा जाएगा।
उन्होंने कहा,

“राजधानी लखनऊ के 90 से अधिक एडेड स्कूलों में 2000 से अधिक छात्रों की उपस्थिति दर्ज करना आसान नहीं है। दो से चार शिक्षक केवल अटेंडेंस के लिए लगाए जा रहे हैं, इससे शिक्षण कार्य बाधित हो रहा है।”

 शिक्षा विभाग का आदेश: अनुपालन हर हाल में जरूरी

माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह ने सभी डीआईओएस को निर्देश जारी करते हुए कहा कि

“हर स्कूल में पहले पीरियड में शिक्षकों और छात्रों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराना सुनिश्चित करें। लोकेशन और शिक्षक डाटा अपडेट कराना भी अनिवार्य है।”

 शिक्षक संगठनों की प्रतिक्रिया: “तुगलकी फरमान, तुरंत वापस लिया जाए”

माध्यमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) के अध्यक्ष डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह पटेल और प्रवक्ता ओम प्रकाश त्रिपाठी ने महानिदेशक कंचन वर्मा से अपील की है कि वे इस अव्यवहारिक आदेश पर व्यक्तिगत ध्यान दें और इसे तत्काल प्रभाव से वापस लें।


 एक नजर में आंकड़े:

  • 5480 सहायता प्राप्त विद्यालय

  • 18 लाख+ विद्यार्थी

  • 12,000+ शिक्षक

  • 2400+ गवर्नमेंट इंटर कॉलेज


निष्कर्ष:
ऑनलाइन हाजिरी की यह योजना अच्छे इरादों के साथ शुरू की गई, लेकिन तकनीकी तैयारी की कमी, इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर की खामियां, और मौजूदा पोर्टल की विफलता ने इसे शिक्षक और छात्रों दोनों के लिए परेशानी का सबब बना दिया है। यदि सरकार इस व्यवस्था को सफल बनाना चाहती है तो समुचित तकनीकी सुधार और इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास ही एकमात्र रास्ता है।

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