लखनऊ, यूपी की आवाज।

19 मार्च 2017 का दिन लखनऊ के लिए खास रहा था, जब शहर से ताल्लुक रखने वाले चेहरों को मंत्री बनाया गया तो पूरा शहर झूम उठा था, लेकिन 25 मार्च 2022 को लखनऊ के जलवे में कमी दिखाई दी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का संसदीय क्षेत्र होने के बाद भी मंत्रियों के कोटे में कटौती कर दी गई। पुराने चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह न मिलने से निराशा भी दिखाई दी।

पुराने चेहरों में ब्रजेश पाठक को ही जगह मिल पाई है, जो कैबिनेट मंत्री से प्रमोशन पाकर उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं। कुछ सालों में शहरवासियों के करीब पहुंचने के कारण शुक्रवार शाम को ब्रजेश पाठक के राजभवन आवास पर सिर्फ कैंट क्षेत्र के ही कार्यकर्ता नहीं थे, बल्कि विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों के कार्यकर्ता भी बधाई देेने पहुंचे थे।

अगर 2017 के परिदृश्य पर नजर डालें तो विधायक व एमएलसी न होने के बाद भी डा. दिनेश शर्मा को उप मुख्यमंत्री का ओहदा दिया गया था और उस समय वह लखनऊ के महापौर का दूसरा कार्यकाल चला रहे थे। पूर्वी क्षेत्र से विधायक आशुतोष टंडन ‘गोपाल’ के अलावा बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए ब्रजेश पाठक को मध्य सीट से भाजपा का टिकट देने के साथ ही मंत्री बनाया गया था। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं डा. रीता बहुगुणा जोशी को कैंट सीट से टिकट देने के साथ ही कैबिनेट मंत्री बनाया गया था। विधान परिषद सदस्य डा. महेंद्र सिंह को भी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया था। उनका भी नाता लखनऊ से ही था और आलमबाग क्षेत्र से सभासद भी रह चुके थे।

पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन की टिप्पणी के बाद घर की देहरी से बाहर निकलीं स्वाती सिंह को भाजपा ने सरोजनीनगर सीट से उतारा था और जीत के बाद उन्हें भी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) का दर्जा दिया गया था। मोहसिन रजा का चेहरा भी अचानक सामने आया था। पुराने शहर से ताल्लुक रखने वाले और खेल से राजनीति में आए मोहसिन रजा को भी राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) बनाया गया था। इस बार ब्रजेश पाठक को छोड़कर अन्य 2017 में शपथ लेने वाले के गायब थे। रीता जोशी और स्वाती सिंह को छोड़ दिया जाए तो ब्रजेश पाठक के अलावा किसी को मंत्री बनने का सुख नहीं मिल पाया है।