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गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की गारंटी देने में मदद कर रहा एनक्यूएएस प्रमाणीकरण

• 24 स्वास्थ्य केंद्रों को एनक्यूएएस का राज्य सर्टिफिकेशन
• 10 स्वास्थ्य केन्द्रों को मिला एनक्यूएएस का राष्ट्रीय सर्टिफिकेशन
• प्रशिक्षण एवं क्षमतावर्धन पर दिया जा रहा लगातार बल
पटना:
नेशनल क्वालिटी एश्यूरेंस स्टैंडर्ड(एनक्यूएएस) के तहत राज्य के 24 स्वास्थ्य केंद्र राज्य स्तरीय प्रमाणित हुए हैं. जबकि राज्य के 10 स्वास्थ्य केन्द्रों को एनक्यूएएस का राष्ट्र स्तरीय प्रमाणीकरण प्राप्त हुआ है. इसमें जिला अस्पताल बांका, जिला अस्पताल सीतामढ़ी, जिला अस्पताल खगड़िया, जिला अस्पताल समस्तीपुर, जिला अस्पताल सहरसा एवं बेगूसराय में जिला अस्पताल, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बछबाड़ा, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर कटारमाला एवं बारो दक्षिणी शामिल हैं. एनक्यूएएस दूरस्थ क्षेत्रों में निवास करने वाली आबादी को भी गुणवत्तापूर्ण सेवा  प्रदायगी की गारंटी देता है. एनक्यूएएस प्रमाणीकरण स्वास्थ्य सेवा को जिम्मेदार और रोगी देखभाल के प्रति प्रतिक्रियाशील बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. प्रमाणीकरण स्वास्थ्य मानकों को सुधारने में मदद करता है और सभी के लिए एक स्वस्थ भविष्य की एक मजबूत आधारशिला निर्मित करता है.
कई प्रक्रियाओं के तहत होता है प्रमाणीकरण:
भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा एनक्यूएएस के तहत सरकारी अस्पतालों में मौजूद स्वास्थ्य सेवाएं और आधारभूत संरचनाओं का मानकों के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है. जानकार सूत्रों के अनुसार, एनक्यूएएस के कड़े मानकों पर खरे उतरने वाले स्वास्थ्य केंद्रों को प्रमाणपत्र के साथ विशेष फंड भी दिया जाता है. साल 2013 में लाये गये एनक्यूएएस मूल्यांकन प्रक्रिया का उद्देश्य स्वास्थ्य केंद्रों की उत्कृष्टता बनाये रखने और मरीजों को सेवाओं की शीघ्र उपलब्धता है. एनक्यूएएस मूल्यांकन का लक्ष्य स्वास्थ्य सेवाओं में निरंतर गुणवत्तापूर्ण सुधार लाना है. जिला सहित राज्य व केंद्र स्तर पर सरकारी अस्पतालों के मूल्यांकन के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों की क्वालिटी एश्यूरेंस टीम है. जिला स्तर पर मूल्यांकन होने के बाद राज्य तथा केंद्र स्तर की टीम स्वास्थ्य केंद्रों का मूल्यांकन करती है. मूल्यांकन के बाद टीम अंक प्रदान किया जाता है और इसी के आधार पर सर्टिफिकेशन किया जाता है.
विभिन्न प्रकार की सेवाओं का होता है मूल्यांकन:
अस्पतालों की उत्कृष्टता बरकरार रखने के लिए नेशनल क्वालिटी एश्यूरेंस स्टैंडर्ड आवश्यक है. इस प्रक्रिया के तहत अस्तपालों में मौजूद सेवाओं व सरंचनाओं पर नजर रखे जाने में मदद मिली है. जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर पर अस्पतालों का मूल्यांकन होता है. इस मूल्यांकन प्रक्रिया से अस्पतालों में गुणवत्तापूर्ण सेवाओं की उपलब्धता पर जोर होता है. जानकार सूत्रों ने बताया कि एनक्यूएएस प्रमाणीकरण के तहत ओपीडी, ऑपरेशन थियेटर, ब्लड बैंक, इमरजेंसी, लेबर रूम, मेडिकल रिकॉर्डस, मेडिकल एंड डेथ ऑडिट का मूल्यांकन किया जाता है. वहीं,  फॉर्मेसी, एंबुलेंस, उपकरणों का रखरखाव, लेबोरेट्री तथा नर्सिंग से संबंधित गतिविधियों का भी मूल्यांकन होता है. साथ ही अस्पताल के प्रबंधन और गुणवत्ता प्रोसेस के तहत मरीजों का फीडबैक, मरीजों के अधिकार, अस्पताल का कार्यप्रदर्शन, आपदा प्रबंधन सहित सेवाओं का मूल्यांकन भी इसमें शामिल है.
स्वास्थ्य केंद्रों पर मरीजों का बढ़ता है भरोसा:
राज्य स्वास्थ्य समिति का कहना है कि मरीजों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं की सुविधा तथा साफ—सफाई से लेकर आवश्यक उपकरणों की मौजूदगी, प्रसव कक्ष सहित ऑपरेशन थियेटर में मौजूद आवश्यक संसाधनों का मूल्यांकन कर एनक्वास द्वारा प्रमाणीकृत किया जाने से मरीजों का स्वास्थ्य केंद्रों के प्रति भरोसा बढ़ता है. एनक्यूएएस की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए निरंतर प्रशिक्षण एवं स्वास्थ्य कर्मियों के क्षमतावर्धन पर विशेष जोर दिया जा रहा है.

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