देश-दुनियाँ

जीविका दीदियों को टीबी उन्मूलन को लेकर मानसिक तौर पर किया गया तैयार

-कहलगांव के जानीडीह पंचायत में जीविका दीदियों का हुआ दो दिवसीय प्रशिक्षण
-प्रशिक्षण में कहानियों और खेल के माध्यम से जीविका दीदियों को किया प्रशिक्षित
भागलपुर, 10 अगस्त-
कहलगांव प्रखंड की जानीडीह पंचायत के पंचायत भवन में टीबी को लेकर जीविका दीदियों के दो दिवसीय पर्सपेक्टिव बिल्डिंग प्रशिक्षण का आयोजन मंगलवार और बुधवार को किया गया। प्रशिक्षण का आयोजन स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से कर्नाटक हेल्थ प्रमोशन ट्रस्ट (केएचपीटी) द्वारा किया गया। इस प्रशिक्षण शिविर का उद्घाटन जानीडीह पंचायत की मुखिया कंचन देवी ने किया। मुखिया ने प्रशिक्षण ले रहीं जीविका दीदियों और प्रशिक्षण देने वालों का मनोबल बढ़ाया और टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में हरसंभव सहयोग पंचायत के द्वारा करने का आश्वासन दिया। इस प्रशिक्षण में जानीपुर पंचायत की कुल 29 प्रतिभागियों ने भाग लिया, इसमें जीविका स्वास्थ्य की सीएनआरपी और एमआरपी भी शामिल रहे। प्रशिक्षण की शुरुआत उद्देश्य और अपेक्षा से की गई और आई हुईं प्रतिभागियों को प्रशिक्षण से क्या अपेक्षाएं हैं और इसमें क्या-क्या होने वाला है, इस बारे में बताया गया।
प्रशिक्षण के दौरान 14 सत्रों के माध्यम से जीविका दीदियों को टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में सहयोग के लिए मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार किया गया। उनको प्रशिक्षण दिया गया कि हम सभी समान और महत्वपूर्ण हैं। हम सब में कई तरह की भूमिकाएं निभाने की क्षमता हैं। जानकारी दूसरों के साथ साझा करने से महत्व बढ़ता है। हमारे अच्छे काम का कभी न कभी हमको फल मिलता है। स्वास्थ हमारा अधिकार है। इसके साथ उन्हें यह भी सिखाया गया कि टीबी की मूल बातें और जानकारियां क्या हैं। टीबी बीमारी क्या है और इसके क्या लक्षण हैं। इसके क्या उपचार हैं और इसकी जांच क्या है। जांच और इलाज कहां-कहां उपलब्ध है। इसके साथ ही उन्हें यह भी बताया गया कि इस सरकार की ओर से पोषण योजना के तहत टीबी मरीजों को प्रतिमाह 500 रुपये पौष्टिक भोजन के लिए दिया जाता है, जब तक इलाज किया जाता है।
समुदाय के प्रभाव के महत्व को बताया: इसके साथ ही उन्हें टीबी रोगियों को अनुभव को समझने के लिए एक काल्पनिक स्थिति देकर मदद करने का प्रस्तुतिकरण पांच ग्रुपों में कराया गया। उनको यह भी बताया गया कि टीबी के कार्यक्रम में एक समुदाय के प्रभाव का क्या महत्व होता है और सामुदायिक नेतृत्व की क्या  भूमिका होती है। इन सभी सत्रों को कहानियों और खेल के माध्यम से आसानी से प्रशिक्षक संदीप कुमार और धीरज कुमार मिश्रा के द्वारा बताया गया।
घोघा स्टेशन पर चलाया जागरूकता अभियान: अंत में कार्ययोजना तैयार कराया गया कि अपने आसपास टीबी उन्नमूलन के लिए क्या कार्य करने वाली हैं। इस प्रशिक्षण के बाद उपस्थित प्रतिभागियों के द्वारा पांच संदिग्ध रोगी निकलकर आया, जिसको इलाज के लिए कहलगांव अनुमंडलीय अस्पताल में रेफर किया गया है। इसके अलावा घोघा रेलवे स्टेशन पर भी जागरूकता अभियान चलाया गया, जिनमें से 500 लोगों तक पहुंच बना और 100 लोगों की स्क्रीनिंग की गई और तीन लोगों को जांच के लिए रेफर किया गया।
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