पेड़ों के माध्यम से दी श्रद्धांजलि: श्रीकांत वर्मा की पुण्यतिथि पर गो ग्रीन जनकल्याण फाउंडेशन ने किया वृक्षारोपण
बरेली | 25 मई 2025
वरिष्ठ राजनेता, चिंतक और साहित्यकार स्वर्गीय श्रीकांत वर्मा जी की 39वीं पुण्यतिथि के अवसर पर गो ग्रीन जनकल्याण फाउंडेशन द्वारा एक विशेष पर्यावरणीय पहल के तहत सैकड़ों पेड़ लगाकर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
इस अवसर पर फाउंडेशन के संस्थापक एवं अध्यक्ष अनूप गंगवार तथा उपाध्यक्ष पारुल गंगवार की अगुवाई में वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में विशेष रूप से श्री रविंद्र कुमार स्टाफ अफसर चीफ सेक्रेटरी, डॉ. सुशील पटेल, इसरार खान, चंद्रजीत कुमार, अथर्व गंगवार, डॉ. रवि वर्मा, कृष्ण गुप्ता, डॉ. शिवानी, नैंसी, सुनील यादव, करण सिंह सहित दर्जनों गणमान्य व्यक्तियों और समाजसेवियों की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम में उपस्थित सभी लोगों ने एक स्वर में कहा कि श्रीकांत वर्मा जी जैसे विचारशील नेताओं और साहित्यकारों की स्मृति में पर्यावरण संरक्षण जैसा पुनीत कार्य करके न केवल उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सकती है, बल्कि समाज के प्रति उनकी दृष्टि और दायित्वबोध को भी जीवित रखा जा सकता है।
श्रीकांत वर्मा: राजनीति और साहित्य के बीच की सेतु
स्वर्गीय श्रीकांत वर्मा न केवल एक वरिष्ठ राजनेता थे, बल्कि वे एक प्रखर कवि, गंभीर चिंतक और विचारशील यथार्थवादी भी थे। उनका जीवन साहित्य और राजनीति के बीच एक अद्वितीय सेतु की तरह था। वे दो बार राज्यसभा सदस्य रहे और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के महासचिव के रूप में इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के निकटतम सहयोगियों में गिने जाते थे।
हालाँकि सत्ता के केंद्र में होने के बावजूद, उन्होंने कभी सत्ता से समझौता नहीं किया। वे नेहरूवादी उदारवाद के समर्थक थे और उनकी कविताएँ सत्ता की आलोचना करने वाले साहसी विचारों की प्रतीक थीं। श्रीमती इंदिरा गांधी उन्हें एक बौद्धिक और नैतिक दृष्टा के रूप में मानती थीं—जो सत्ता को उसके आईने में देखने की शक्ति रखता था।
श्रीकांत वर्मा की कविताओं, विशेषकर ‘मगध’ संग्रह ने समकालीन राजनीतिक यथार्थ और सत्ता के अंतर्विरोधों को जिस बौद्धिक गहराई से उजागर किया, वह आज भी प्रासंगिक है।
हर वर्ष वृक्षारोपण की परंपरा जारी रखने की घोषणा
कार्यक्रम के अंत में गो ग्रीन जनकल्याण फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप गंगवार ने घोषणा की कि श्रीकांत वर्मा जी की पुण्यतिथि पर हर वर्ष इसी प्रकार वृक्षारोपण कर उनकी स्मृति को अक्षुण्ण रखा जाएगा। उन्होंने युवाओं से भी आग्रह किया कि वे साहित्य, राजनीति और प्रकृति—all three—से जुड़ने का संकल्प लें।
यह आयोजन न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक सराहनीय पहल था, बल्कि एक महान विचारक और राजनेता की विचारधारा को जनमानस तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम भी बना।
-संदीप पटेल SPTM
(सहसंपादक)