उत्तर प्रदेश

विश्व स्तर पर भूख, कुपोषण खत्म करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है मत्स्य संरक्षण: मोहंती

  • मछलियों के संरक्षण जीव विज्ञान में उभरते उपकरण और पद्धतियां पर दिया गया प्रशिक्षण
 यूपी की आवाज़

लखनऊ। हिंदी माह के दौरान हिंदी में भाकृअनुप-एनबीएफजीआर में मछली संरक्षण और प्रबंधन पर कार्यशाला आयोजित की गई। इस अवसर पर मुख्य अतिथि और वक्ता डॉ. बिमल प्रसन्ना मोहंती, प्रतिष्ठित मत्स्य वैज्ञानिक और सहायक महानिदेशक अंतर्देशीय मत्स्य पालन भाकृअनुप, नई दिल्ली ने कहा कि मत्स्य संरक्षण और प्रबंधन जलीय कृषि के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं, जो सर्वाधिक तीव्र गति से बढ़ते खाद्य उत्पादन क्षेत्रों में से एक है और विश्व स्तर पर भूख, कुपोषण और पोषक तत्वों की कमी को खत्म करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है।

उन्होंने कहा कि मछली एक स्वस्थ भोजन है, जो गुणवत्ता वाले एनिमल प्रोटीन, पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड विशेष रूप से ओमेगा 3 इकोसापेंटेनोइक एसिड और डोकोसाहेक्साएनोइक एसिड और सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर है। उष्णकटिबंधीय देशों में एनिमल प्रोटीन के अन्य स्रोतों की तुलना में मछली अधिक उपलब्ध और सस्ती है। डॉ. मोहंती ने कहा कि देश में मछली के उपयोग को बढ़ावा देने और पोषण सुरक्षा प्राप्त करने के लिए मछली पर पोषण संबंधी जानकारी का विस्तार आवश्यक है ताकि जलीय कृषि के लिए प्रजातियों को प्राथमिकता दी जा सके इस संदर्भ में उन्होंने चयनित मछलियों की पोषण संरचना पर अपने महत्वपूर्ण अध्ययनों के बारे में भी बताया। प्राथमिकता वाली मछली प्रजातियों के उत्पादन को बढ़ाकर 2030 तक भुखमरी को समाप्त करने के संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है और इस दिशा में राष्ट्रीय उपलब्धि प्राप्त करने में वर्तमान में संचालित प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना पीएमएसएसवाई मददगार है। निदेशक भाकृअनुप -एनबीएफजीआर डॉ. यूके सरकार ने हितधारकों की सुविधा के लिए हिंदी में मत्स्य पालन के बारे में उपयोगी ज्ञान फैलाने की आवश्यकता पर बल दिया। वही दूसरी ओरभाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो ने निदेशक डॉ. यूके सरकार के मार्गदर्शन में 20 से 29 सितंबर के दौरान शोधार्थियों और छात्रों के लिए श्मछलियों के संरक्षण जीव विज्ञान में उभरते उपकरण और पद्धतियोंश् पर 10 दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया। इसमें प्रतिभागियों के मछलियों के संरक्षण जीव विज्ञान के क्षेत्र में उपयोग किए जाने वाले उभरते उपकरणों और पद्धतियों में कौशल विकास और विशेषज्ञता बढ़ाने पर जोर दिया गया , जो जलीय जैव विविधता संकट को कम करने में मदद कर सकते हैं। मुख्य अतिथि डॉ. बीपी मोहंती, अतिरिक्त महानिदेशक अंतर्देशीय मत्स्य पालन, भाकृअनुप ने आईसीएआर-एनबीएफजीआर के संरक्षण और प्रबंधन पहलुओं के प्रति युवाओं को प्रशिक्षित करने के प्रयासों की सराहना की, जो आईसीएआर के ष्स्टूडेंट रेडीष् विजन को दर्शाता है।

देश के विभिन्न हिस्सों से कुल 25 प्रतिभागियों ने प्रशिक्षण में भाग लिया। प्रशिक्षण में संरक्षण जीव विज्ञान के कई आयामों सिद्धांत और व्यावहारिक दोनों हैंड्स-ऑन को शामिल किया गया, जिसमें टैक्सोनॉमी, मत्स्य जीव विज्ञान, आवास इंटरैक्शन, विविधता मूल्यांकन, जनसंख्या और आनुवंशिक संरचना मूल्यांकन, एक्स-सीटू और इन-सीटू संरक्षण उपकरण, जलवायु परिवर्तन मॉडलिंग, जीनोटॉक्सिसिटी, सह-प्रबंधन और संरक्षण नीति उपाय शामिल हैं। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 32 व्याख्यान दिए गए, जिनमें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में प्रसिद्ध मत्स्य पालन, वन्यजीव और पर्यावरण प्रबंधन शोधकर्ताओं द्वारा 11 अतिथिव्याख्यान शामिल थे। प्रशिक्षण का समन्वय वैज्ञानिक डॉरजनी चंद्रन और डॉजी कंथाराजन और आईसीएआर-एनबीएफजीआर में सह-समन्वय टीम द्वारा किया गया।

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