भारत-पाकिस्तान युद्धविराम: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निर्णायक भूमिका

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक पहल के तहत भारत और पाकिस्तान ने तत्काल प्रभाव से युद्धविराम पर सहमति व्यक्त की है। यह युद्धविराम आज, 10 मई 2025 को शाम 5:00 बजे से लागू हो गया है। अमेरिका द्वारा मध्यस्थता की गई गहन वार्ताओं के बाद यह समझौता हुआ है, जिसने हाल के वर्षों में सबसे गंभीर सैन्य तनाव को समाप्त करने का मार्ग प्रशस्त किया है।
गत कुछ दिनों में दोनों देशों के बीच भारी सैन्य तनाव देखने को मिला। 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले में 28 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई थी, जिनमें अधिकांश हिंदू तीर्थयात्री थे। भारत ने इस हमले के लिए पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया और इसके जवाब में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाक-अधिकृत कश्मीर में स्थित आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। राफेल जेट विमानों से किए गए इन हमलों में SCALP मिसाइल और AASM हैमर बम का प्रयोग हुआ, जिनका उद्देश्य लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों की क्षमताओं को नेस्तनाबूद करना था।
इसके प्रत्युत्तर में पाकिस्तान ने ‘ऑपरेशन बुनियान अल-मरसूश’ चलाया, जिसमें ड्रोन और मिसाइल हमलों के ज़रिए जम्मू और अमृतसर समेत कई भारतीय शहरों को निशाना बनाया गया। इस टकराव में दोनों देशों को भारी जनहानि और संपत्ति का नुकसान झेलना पड़ा। करीब 66 नागरिकों की मौत की पुष्टि हुई और अनेक लोग घायल हुए। हालात इस हद तक बिगड़ गए थे कि परमाणु युद्ध की आशंका गहराने लगी थी, जिससे त्वरित समाधान की आवश्यकता महसूस हुई।
इस पूरे संकट काल में शिवसेना और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे जी ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई। पहलगाम हमले के बाद जब कश्मीर में हालात भयावह हो गए थे, तब शिवसेना कार्यकर्ताओं और प्रशासन ने मिलकर फंसे हुए हजारों तीर्थयात्रियों और नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकालने का अभियान चलाया। विशेष राहत शिविरों की स्थापना की गई, घायलों को त्वरित चिकित्सा सहायता पहुंचाई गई और महाराष्ट्र लौटने वाले नागरिकों के लिए विशेष विमानों और बसों की व्यवस्था की गई। श्री शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना ने यह सिद्ध किया कि संकट की घड़ी में संगठन और सरकार जनसेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
ऐसे चुनौतीपूर्ण समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने जिस सूझबूझ और नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया, वह उल्लेखनीय रहा। उन्होंने एक ओर राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए आतंकवादी ठिकानों पर निर्णायक कार्रवाई की, वहीं दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर शांति प्रयासों में सक्रिय भागीदारी निभाई। मोदी जी की रणनीति ने यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है, लेकिन क्षेत्रीय स्थिरता के लिए भी वह संवाद का मार्ग खुला रखता है।
अमेरिका ने इस युद्धविराम में केंद्रीय भूमिका निभाई। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, विदेश मंत्री मार्को रुबियो और उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व के साथ गहन बातचीत कर दोनों देशों को युद्धविराम के लिए सहमत किया। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस पहल के लिए दोनों देशों की “समझदारी और दूरदृष्टि” की सराहना की।
अब जबकि युद्धविराम लागू हो चुका है, दोनों देशों ने आगे व्यापक संवाद के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की है। यह कदम दक्षिण एशिया में लंबे समय से जारी तनावपूर्ण माहौल में शांति की नई आशा लेकर आया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी इस पहल का स्वागत किया है और संयम व रचनात्मक वार्ता को जारी रखने पर बल दिया है।
संक्षेप में कहा जाए तो भारत और पाकिस्तान के बीच यह युद्धविराम दक्षिण एशियाई भू-राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की मजबूत नेतृत्व क्षमता और संतुलित दृष्टिकोण ने इस परिणाम को संभव बनाया। शिवसेना और उपमुख्यमंत्री श्री एकनाथ शिंदे जी द्वारा निभाई गई सराहनीय भूमिका ने यह संदेश दिया कि राज्य सरकारें भी राष्ट्रीय संकटों में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। यह भी साबित हुआ कि कूटनीति, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी जटिल क्यों न हों, समाधान का मार्ग प्रशस्त कर सकती है। अब आगे की राह दोनों देशों के परस्पर सम्मान और शांतिपूर्ण सहयोग पर टिकी है।
– डॉ अभिषेक वर्मा
(मुख्य राष्ट्रीय समन्वयक – गठबंधन व चुनाव, शिवसेना)