उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश: ओबीसी उप-वर्गीकरण और SC दर्जा को लेकर NDA सहयोगी दलों की सियासी सक्रियता बढ़ी

OBC उप-वर्गीकरण की मांग पर सुभासपा मुखर, राजभर बोले – “कुछ जातियां ही उठा रहीं पूरा लाभ”

लखनऊ | 13 जुलाई 2025:
उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर आरक्षण का मुद्दा केंद्र में आ गया है। एनडीए गठबंधन के सहयोगी दलों ने आगामी विधानसभा चुनाव से पहले अपनी-अपनी सामाजिक शक्ति और राजनीतिक मांगों को धार देना शुरू कर दिया है।

सुभासपा (SBSP) नेता व मंत्री ओम प्रकाश राजभर ने केंद्र और राज्य सरकार से OBC (अन्य पिछड़ा वर्ग) में उप-वर्गीकरण की पुरजोर मांग की है। उन्होंने रोहिणी आयोग की रिपोर्ट को प्रदेश में लागू करने की वकालत करते हुए कहा कि “27% आरक्षण का लाभ कुछ ही जातियां उठा रही हैं, जबकि अन्य वंचित रह जाती हैं।”


राजभर की दलील – सुप्रीम कोर्ट और हरियाणा दे चुके हैं मंज़ूरी

ओम प्रकाश राजभर ने इकोनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए कहा –

सुप्रीम कोर्ट पहले ही ‘कोटा के भीतर कोटा’ की इजाजत दे चुका है। हरियाणा ने इसे लागू कर दिया है, तो उत्तर प्रदेश में ऐसा क्यों नहीं हो सकता?

उन्होंने बताया कि उन्होंने यह मुद्दा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष उठाया है और जल्द ही गृहमंत्री अमित शाह से भी इस संदर्भ में मुलाकात करेंगे।


निषाद समुदाय के लिए SC दर्जा की मांग

इस बीच निषाद पार्टी के प्रमुख और मंत्री संजय निषाद ने भी निषादों को अनुसूचित जाति (SC) श्रेणी में शामिल करने की पुरानी मांग को फिर दोहराया। उन्होंने कहा –

जब राम मंदिर और अनुच्छेद 370 जैसे बड़े मुद्दों का समाधान हो सकता है, तो निषादों को एससी दर्जा देना कोई कठिन काम नहीं है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह मांग नहीं मानी गई तो गठबंधन की 2027 चुनावी संभावनाएं प्रभावित हो सकती हैं।


मऊ सदर में उपचुनाव की सुगबुगाहट, राजभर की अगली रणनीति

राजभर ने मऊ सदर विधानसभा सीट पर नजरें टिका दी हैं। यह सीट अब्बास अंसारी के जेल में होने के कारण खाली हुई है। चर्चा है कि राजभर इस सीट से अपने बेटे अरविंद राजभर को मैदान में उतार सकते हैं।

उन्होंने कहा –

मुस्लिमों के बाद राजभर समुदाय मऊ सदर का दूसरा सबसे बड़ा वोट बैंक है, जो लगभग 80 हजार है। हम इस सीट पर पूरा दमखम दिखाएंगे।


गठबंधन में बढ़ते तनाव के संकेत

इसी दौरान अपना दल के नेता आशीष पटेल ने भी सरकार से कुछ गंभीर मुद्दों पर नाराज़गी जताई है। यह घटनाक्रम साफ तौर पर दर्शाता है कि 2027 की रणनीति में हर सहयोगी दल अपनी स्थिति मज़बूत करने में जुट गया है।


निष्कर्ष:
OBC उप-वर्गीकरण और SC दर्जा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर सहयोगी दलों की सक्रियता बताती है कि चुनावी रणनीतियों की नींव अभी से रखी जा रही है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा नेतृत्व इन मांगों पर क्या रुख अपनाता है और एनडीए गठबंधन की एकजुटता कितनी बनी रह पाती है।

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