
मंत्रिमंडल से कई प्रमुख चेहरों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए सामाजिक समीकरणों को संतुलित करने वाले अलग-अलग वर्गों से 31 नए चेहरों के जरिए भविष्य की तैयारी के संकल्प का संदेश भी दिया गया है। मंत्रिमंडल में सामाजिक, राजनीतिक और क्षेत्रीय सरोकारों के समीकरणों के साथ पुराने व नए चेहरों के संतुलन से एजेंडे पर ज्यादा साहस व सक्रियता से काम करने का भरोसा भी जताया गया है। डॉ. दिनेश शर्मा सहित कई बड़े चेहरों को योगी सरकार की दूसरी पारी में जगह न देकर यह भी स्पष्ट कर दिया गया कि बेदाग छवि के साथ नेतृत्व को 2024 के लिए नतीजे देने वाले चेहरों की भी जरूरत है।
अंतिम समय तक मंत्रिमंडल पर सस्पेंस बनाने के बाद पुराने फॉर्मूले के अनुसार सीएम योगी के साथ दो डिप्टी सीएम सहित नई सरकार के गठन की प्रक्रिया पूरी हुई। जिस तरह योगी सरकार-1 के डिप्टी सीएम केशव मौर्य को पराजित होने के बावजूद उप मुख्यमंत्री बनाया गया, लेकिन डॉ. दिनेश शर्मा की जगह ब्राह्मण चेहरे के रूप में ब्रजेश पाठक को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई, उससे साफ हो गया कि भाजपा हाईकमान की मंशा सिर्फ जातीय संतुलन साधने भर की नहीं है, बल्कि वह 2024 के लिए ऐसे चेहरों को जिम्मेदारी सौंपना चाहती है जो अपने-अपने समाज के बीच पार्टी की पकड़ व पहुंच को ज्यादा पुख्ता कर सकें।
यही वह वजह रही जिसके कारण तमाम बड़े और मंत्रिमंडल के अभिन्न हिस्सा माने जा रहे चेहरों पर 31 नए चेहरों को तवज्जो दी गई। अनुभव को तो सम्मान दिया गया, लेकिन उत्साही लोगों को भी कुछ कर दिखाने का मौका देने की रणनीति पर भी काम होता दिखा।
भविष्य की तैयारी का प्रमाण
कोर वोट के साथ नए वोटबैंक की लामबंदी
मंत्रिमंडल में शामिल चेहरों के जरिए कोर वोट की लामबंदी मजबूत करने के साथ 2024 के मद्देनजर नए वोट की लामबंदी की भी कोशिश दिखी। यही वजह है कि चुनाव में पराजित होने के बावजूद केशव मौर्य को उप मुख्यमंत्री पद पर बनाए रखकर रणनीतिकारों ने जहां प्रदेश में 7 प्रतिशत के करीब कोइरी, कुशवाहा, मौर्य, शाक्य, सैनी जैसे वोटों को साधने की कोशिश के साथ यह भी भरोसा देने प्रयास है कि वे यदि स्वामी प्रसाद मौर्य एवं धर्मसिंह सैनी जैसे नेताओं की बगावत के बावजूद भाजपा का साथ देते हैं तो भाजपा भी उनके सम्मान की चिंता करती है।
यही वह वजह है कि पार्टी ने केशव के अलावा पश्चिमी यूपी के जसवंत सैनी जैसे पार्टी कार्यकर्ता को किसी सदन का सदस्य न होने के बावजूद मंत्रिमंडल में जगह दी है। चुनाव नतीजों के बाद यह लगातार कहा जा रहा था कि प्रदेश की पिछड़ी जातियों की आबादी में 8 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाली कुर्मी बिरादरी का वोट पहले जैसा नहीं मिला। शायद इस बात को भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व भी समझ रहा है। इसीलिए मंत्रिमंडल में पार्टी ने जहां अपने प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को कैबिनेट मंत्री बनाया है तो पूर्व सांसद और कानपुर क्षेत्र में बड़े कुर्मी चेहरे राकेश सचान को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।a