विधान परिषद की स्थानीय प्राधिकरण क्षेत्र की 36 सीटों के चुनाव में भाजपा ने ठाकुर और पिछड़ा कार्ड खेला है। पार्टी की ओर से शनिवार को घोषित पहले चरण के 30 उम्मीदवारों की सूची में 12 ठाकुर, 9 पिछड़े, पांच ब्राह्मण, तीन वैश्य और एक कायस्थ को टिकट दिया गया है। पार्टी ने विधान परिषद चुनाव में अपने कैडर को मौका दिया है वहीं के साथ सपा और कांग्रेस से आए नेताओं पर भी भरोसा जताया है। पार्टी ने पिछड़े वर्ग में भी सभी प्रमुख जातियों को साधने का प्रयास किया है। साथ ही विधानसभा चुनाव में टिकट से वंचित रहे नेताओं को भी उच्च सदन में भेजने का रास्ता साफ किया है।
प्रदेश में भाजपा के राजनीतिक इतिहास में पहली बार ऐसा मौका है जब पार्टी अपने कैडर को उच्च सदन में प्रतिनिधित्व का अधिक से अधिक मौका दे सकती है। इसी मौके फायदा उठाते हुए भाजपा ने करीब 70 फीसदी सीटों पर अपने पुराने कार्यकर्ताओं को मौका दिया है। वहीं 30 फीसदी सीटों पर दूसरे दलों से आए धनबली और बाहुबलियों से किया वादा पूरा किया है। चुनाव 36 सीटों पर होना है, भाजपा के बाकी छह प्रत्याशियों की सूची भी जल्द जारी होगी
कैडर को मौका
भाजपा ने विधान परिषद चुनाव में अपने कैडर को मौका देने के लिए खीरी से प्रदेश महामंत्री अनूप गुप्ता, इटावा-फर्रुखाबाद से प्रांशुदत्त द्विवेदी, अलीगढ़ के जिलाध्यक्ष ऋषिपाल सिंह को उम्मीदवार बनाया है। प्रतापगढ़ नगर पालिका अध्यक्ष और पूर्व विधायक हरिप्रताप सिंह को प्रतापगढ़, बहराइच की महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष डॉ. प्रज्ञा त्रिपाठी को बहराइच, गोरखपुर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष डॉ. रतनपाल सिंह को देवरिया, महोबा से भाजपा के जिलाध्यक्ष जितेंद्र सिंह सेंगर को बांदा-हमीरपुर से उम्मीदवार घोषित किया है। पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष डॉ. सुधीर गुप्ता को पीलीभीत-शाहजहांपुर, पिछड़े वर्ग से भाजपा ने दो जाट, दो यादव, कुर्मी, सैनी, गुर्जर, जायसवाल और नाई समाज से एक-एक उम्मीदवार को उतारा है।
सपा नेताओं के बेटों को टिकट
भाजपा ने विधान परिषद के पूर्व सभापति और सपा के कद्दावर नेता रहे रमेश यादव के बेटे आशीष यादव आशु को मथुरा-एटा-मैनपुरी से उम्मीदवार घोषित किया है। वहीं, आजमगढ़ की फूलपुर पवई से सपा विधायक रमाकांत यादव के बेटे अरुण कुमार यादव को आजमगढ़ मऊ से टिकट दिया है। रमाकांत यादव विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़कर सपा में शामिल हो गए थे। आजमगढ़, एटा और मैनपुरी भी सपा का गढ़ माने जाते हैं। विधानसभा चुनावा में आजमगढ़ की सभी दस सीटें भाजपा हार गई थी।
बाहर से आए नेताओं पर लगाया दांव
भाजपा ने विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले पार्टी में शामिल हुए सपा एमएलसी सीपी चंद को गोरखपुर-महराजगंज,, रविशंकर सिंह पप्प को बलिया, रमा निरंजन को झांसी-जालौन-ललितपुर और नरेंद्र भाटी को बुलंदशहर से टिकट दिया है। 2017 विधानसभा चुनाव से पहले सपा से भाजपा में आए अवधेश सिंह मंजू को गोंडा से टिकट दिया है। वहीं भाजपा में शामिल होने के बाद भी घनश्याम लोधी और हमीरपुर के रमेश मिश्रा को टिकट नहीं मिला है। उल्लेखनीय है कि रमेश मिश्रा का नाम सीबीआई की ओर से की जा रही खनन घोटाले की जांच में है।
परिवारवाद भी चला
विधान परिषद चुनाव में भी भाजपा परिवारवाद से नहीं बच सकी है। रायबरेली सीट से भाजपा ने दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिया है। दिनेश प्रताप सिंह लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए थे। दिनेश ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के सामने रायबरेली भाजपा उम्मीदवार के रूप में चुनाव भी लड़ा था। दिनेश प्रताप के भाई राकेश प्रताप ने भी विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की थी। राकेश प्रताप को भाजपा ने रायबरेली की हरचंदपुर सीट से उम्मीदवार बनाया था। राकेश प्रताप सपा से चुनाव हार गए। वहीं पार्टी ने भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष प्रांशुदत्त द्विवेदी को भी इटावा-फर्रुखाबाद सीट से टिकट दिया है। प्रांशु के चचेरे भाई सुनीलदत्त द्विवेदी भी फर्रुखाबाद से विधायक है।
विधानसभा चुनाव में कई दलितों को मिला मौका
भाजपा के 30 उम्मीदवारों की सूची में एक भी दलित को मौका नहीं दिया गया है। जबकि विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 84 आरक्षित सीटों के मुकाबले 85 दलित उम्मीदवार उतारे थे।
भाजपा के एमएलसी प्रत्याशियों की सूची