लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बीच कांग्रेस के पुराने नेता या तो पार्टी छोड़ गए या फिर साइड लाइन कर दिए गए। पार्टी के ही एक नेता ने सोशल मीडिया पर 30 से ज्यादा ऐसे पूर्व विधायकों और सांसदों की सूची प्रदर्शित की, जो पार्टी से नाता तोड़ चुके हैं। हाईकमान को उम्मीद थी कि नया नेतृत्व नए जोश के साथ काम करेगा, जिसके अच्छे परिणाम मिलेंगे, लेकिन हकीकत में पार्टी वह जनाधार भी खो बैठी, जो खराब से खराब वक्त में साथ रहा था।
सार्वजनिक रूप से कांग्रेस विधानसभा चुनाव में हार के चाहे जो कारण बताए, लेकिन अंदर खाने पार्टी में उथल-पुथल मची है। टीम प्रियंका के लोग इसे प्रायोजित बता रहे हैं, पर खुद प्रियंका इसको लेकर गंभीर हैं। यही वजह है कि वह प्रदेश के वरिष्ठ नेताओं से एक-एक कर मिल रही हैं। हार के कारण और पार्टी को नए सिरे से खड़ा करने के सुझाव ले रही हैं।
यहां तक कि जो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी या पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से मिलना चाहते हैं. उनके लिए समय का प्रबंध किया जा रहा है। अभी तक पार्टी के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम्, प्रमोद तिवारी, सतीश आजमानी, अजय राय और अजय कुमार लल्लू कांग्रेस महासचिव प्रियंका से मिलकर सुझाव दे चुके हैं। सूत्रों के मुताबिक, वरिष्ठ नेताओं ने मौजूदा प्रदेश नेतृत्व की कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं।
इसी कारण पार्टी प्रदेश में सांगठनिक रणनीति बदलने पर विचार कर रही है, जिन नेताओं को पिछले दिनों निष्कासित किया गया था, उनमें से कई नेताओं को वापस लेने पर मंथन शुरू हो चुका है। बशर्ते इन नेताओं ने गांधी-नेहरू परिवार पर सीधे बड़े हमले न किए हों। वहीं, प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर वरिष्ठ अनुभवी नेता को बैठाने पर सहमति भी बन चुकी है।